10 दिसंबर 2025। नई वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2026 फिर वही कड़वी हकीकत सामने रखती है: दुनिया की संपत्ति और ताकत कुछ चुनिंदा हाथों में सिमटती जा रही है, जबकि अरबों लोग बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 60,000 से भी कम मल्टी-मिलियनेयर — यानी दुनिया की टॉप 0.001% आबादी — अब दुनिया के सबसे गरीब 50% लोगों की कुल संपत्ति से तीन गुना ज़्यादा दौलत का मालिकाना रखते हैं।
दौलत की खाई: अमीर 10% के पास तीन-चौथाई संपत्ति
200 से ज़्यादा रिसर्चर्स की टीम द्वारा तैयार इस स्टडी में बताया गया है कि:
दुनिया की आबादी के सबसे अमीर 10% लोग कुल ग्लोबल संपत्ति के लगभग 75% हिस्से के मालिक हैं
जबकि सबसे गरीब 50% के पास सिर्फ 2% संपत्ति है
आय में भी वही कहानी है: टॉप 10% लोग बाकी 90% से भी ज़्यादा कमाते हैं
दुनिया के सबसे गरीब आधे लोगों की इनकम ग्लोबल आय के 10% से भी कम है
लेखकों ने लिखा, “यह ऐसी दुनिया है जहां बहुत कम लोगों के पास विशाल आर्थिक शक्ति है, और अरबों लोग न्यूनतम वित्तीय स्थिरता से भी दूर हैं।”
जेंडर पे गैप: 30 साल में मुश्किल से बदलाव
रिपोर्ट बताती है कि:
महिलाओं के पास दुनिया की लेबर इनकम का सिर्फ थोड़ा सा ही 25% से ऊपर हिस्सा है
1990 के बाद से यह वृद्धि लगभग ठहरी हुई है
शिक्षा में निवेश का फासला चौकाने वाला
असमानता स्कूल की उम्र से पहले ही शुरू हो जाती है:
सब-सहारा अफ्रीका: $230 (प्रति छात्र वार्षिक शिक्षा खर्च)
यूरोप: $8,600
उत्तर अमेरिका + ओशिनिया: $10,500
यह 40:1 से भी अधिक का अंतर दिखाता है।
रिसर्चर्स का सुझाव: अल्ट्रा-रिच पर ग्लोबल टैक्स
रिपोर्ट कहती है कि संपत्ति की इस खाई को भरने के लिए अल्ट्रा-रिच पर टैक्स लगाया जाना चाहिए:
100,000 से कम सेंटी-मिलियनेयर और बिलियनेयर पर 3% ग्लोबल टैक्स
इससे हर साल $750 बिलियन जुट सकता है
यह रकम कम और मध्य-आय वाले देशों के कुल शिक्षा बजट के बराबर है
गरीब देशों से पैसा खींचता ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम
स्टडी के मुताबिक:
विकसित देश सस्ते ब्याज पर कर्ज लेते हैं
गरीब देश महंगे कर्ज, प्रॉफिट आउटफ्लो और दूसरे फाइनेंशियल चैनलों के कारण लगातार पैसा खोते हैं
हर साल दुनिया की GDP का लगभग 1% गरीब देशों से अमीर देशों की तरफ खिसक जाता है
यह ग्लोबल डेवलपमेंट एड की तुलना में तीन गुना ज्यादा है।














