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मुख्यमंत्री ने प्लास्टिक वेस्ट रिसाइकल करने के लिए बहुपक्षीय साझेदारी वाली परियोजना का उद्घाटन किया

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 1934

Bhopal: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्लास्टिक वेस्ट रिसाइकल करने के लिए बहुपक्षीय साझेदारी वाली परियोजना का उद्घाटन किया



्यूएनडीपी और हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज ने अपनी साझेदारी के तहत इस प्रोजेक्ट को शुरू किया है, इसमें देश के 50 शहरों में प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग प्रोजेक्ट्स आरंभ किये जायेंगे



5 जून 2018। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज (एचसीसीबी) प्राइवेट लिमिटेड की सीईओ श्रीमती क्रिस्टीना रूजेरो ने भोपाल में प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग प्रोग्राम का अनावरण किया है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य उपयोग की जा चुकी प्लास्टिक को एकत्र कर, उसे प्रोसेस एवं रिसाइकल करना है। इस प्लास्टिक से टी-शर्ट्स, फैब्रिक, बैकपैक्स आदि जैसी उपयोगी उत्पाद बनाये जायेंगे। कैरी बैग्स, लैमिनेट्स आदि जैसे निम्न स्तरीय प्लास्टिक को रिसाइकल करना कठिन है, इसलिए इनका इस्तेमाल कंप्रेस्ड बोर्ड्स बनाने, सीमेंट क्लिन्स में पूरी तरह जलाने, सड़क बिछाने और पाइरोलाइसिस (ताप-अपघटन) में किया जायेगा। इस परियोजना के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 4-5 टन प्लास्टिक का संग्रह किया जाएगा। भोपाल, जो भारत का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर है, वहाँ विश्व पर्यावरण दिवस इस परियोजना के अनावरण स्वरूप, पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग प्रोग्राम यूएनडीपी इंडिया और हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज के नेतृत्व में कई साझीदारों की भागीदारी का परिणाम है, ताकि भारत के 50 शहरों में प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन के स्थायी अभ्यासों को सहयोग दिया जा सके।



इसी कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर माननीय मुख्यमंत्री ने वल्लभ भवन (मंत्रालय) में सुबह एक रिवर्स वेंडिंग मशीन (आरवीएम) का उद्घाटन किया। यह मशीन PET बोतलों को एकत्र करती है और उन्हें तुरंत टुकड़ों में काट देती हैं। इस तरह इस्तेमाल हो चुकी (यूज्ड) PET बोतलों की संख्या में 85 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है। यह स्वचालित मशीन है। मशीन में बोतल डालने के बाद यह स्वतः रूप से चालू हो जाता है। इस मशीन की क्षमता एक घंटे में 500 बोतलों को काटने की है। इसकी स्टोरेज क्षमता भी बहुत अधिक है और मशीन के अंदर 500-600 बोतलों को रखा जा सकता है। लोगों को इस मशीन का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये एक योजना भी है। कोई भी व्यक्ति जब भी इस मशीन में कोई पेट बोतल डालेगा, उसके ई-वालट में 0.50 रू. पेटीएम क्रेडिट आएगा। इस मशीन को बायोक्रक्स ने विकसित किया है और हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज इन मशीनों में निवेश कर रहा है, ताकि लोगों को पेट बोतलों को जलाने के बजाय रिसाइकल करने के लिए प्रेरित किया जा सके।



प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग प्रोग्राम से कूड़ा उठाने वालों और विशेषकर महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक उन्नति होगी। इस भागीदारी के माध्यम से प्रतिवर्ष 85000 टन प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन का लक्ष्य है, जिससे 37500 कूड़ा उठाने वालों या सफाई मित्रों के जीवन स्तर में सुधार होगा।



इस प्रोग्राम का उद्देश्य एक ऐसे मॉडल को बनाना है, जो यूज्ड प्लास्टिक को रिसाइकल कर प्लास्टिक के कचरे को कम कर सके और प्रदूषण घटाया जा सके। प्लास्टिक में कई आकर्षक खूबियां हैं, जैसे कि यह बेहद हल्की एवं मजबूत होती है और इसकी प्रोसेसिंग आसान है। यह लोगों की कई मैटेरियल जरूरतों को बड़े पैमाने पर पूरा करती है और इसकी कीमत भी तुलनात्मक रूप से काफी कम है। इस तरह यह पर्यावरण को साफ रखने में मदद करती है।



भोपाल में यूएनडीपी इंडिया और एचसीसीबी ने प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकल करने के मिशन के लिये भोपाल नगर निगम के साथ साझेदारी की है। भोपाल में इस परियोजना से निम्नलिखित कार्य होंगेः



ऽ वर्तमान प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुधार करना

ऽ एक औपचारिक कार्यक्रम के तहत कूड़ा उठाने वालों या सफाई मित्रों को संगठित करना

ऽ सभी सात प्रकार के प्लास्टिक वेस्ट के लिये रिसाइक्लर्स की स्थापना करना

ऽ नगरपालिकाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना

ऽ वेस्ट को अलग-अलग करना और प्लास्टिक रिसाइकल करने पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करना

ऽ परियोजना की प्रगति की निगरानी के लिये संपूर्ण तकनीकी मंच को लागू करना



यह परियोजना पहले भोपाल के चयनित क्षेत्रों से शुरू होगी और फिर इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।



इस मशीन के लॉन्च के बारे में चर्चा करते हुए हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज प्रा. लि. की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती क्रिस्टीना रूजेरो ने कहा, ??भारत में मैंने जो एक सबसे खास बात देखी है, वह है वेस्ट से भी वेल्थ बनाने की इसकी जबर्दस्त क्षमता। वेस्ट से वेल्थ बनाने की इस प्रक्रिया में एक वैल्यू चेन का निर्माण किया जाता है। च्म्ज् इंसान द्वारा किये गये कई महत्वपूर्ण नवाचारों में से एक है जोकि हमारी जिंदगी को आसान बनाता है और इस्तेमाल किये जाने के बाद भी इसका महत्व कम नहीं होता है। इस प्रोजेक्ट के लिए साथ आये सभी भागीदारों को महसूस हुआ कि हमें एक ऐसा पर्यावरण बनाना होगा जोकि पूरी जिम्मेदारी से प्लास्टिक के उपयोग के बाद उसकी रिकवरी सुनिश्चित करता हो। मंत्रालय में आज लगाई गई आरवीएम मशीन और भोपाल में च्म्ज् रिसाइक्लिंग प्रोग्राम की पेशकश ने एक अच्छी शुरूआत की है। इसे संभावित रूप से एक मॉडल में बदला जा सकता है जिसे कई गुणा तक बढ़ाया जा सकता है। मैं आगे की राह बनाने के लिए यूएनडीपी और बीएमसी का शुक्रिया अदा करती हूं।



हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज (एचसीसीबी) प्रा. लि. के विषय में

हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज प्रा. लि. भारत के सबसे बड़े एफएमसीजी उत्पादकों और वितरकों में से एक है। यह द कोका-कोला कंपनी के टे?डमार्क्स के अंतर्गत पेयों का उत्पादन, पैकेजिंग, बिक्री और वितरण करता है। 4000 वितरकों और 2 मिलियन रिटेल दुकानों का नेटवर्क उच्च गुणवत्ता के, बेहतरीन स्वाद वाले पेयों का वितरण करता है, जिनका उत्पादन हिन्दुस्तान कोका-कोला बीवरेजेज द्वारा किया जाता है।



एचसीसीबी ने बैंगलोर में मेसर्स सहास ज़ीरो वेस्ट के साथ भागदारी के तहत प्रथम प्लास्टिक रिसाइकल परियोजना लॉन्च की थी, फिर अप्रैल 2018 में मेसर्स वेस्ट वेंचर्स के साथ हैदराबाद में इसे शुरू किया था। इसके बाद मई 2018 में मुंबई और गोवा में क्रमशः इंडियन सेंटर फॉर प्लास्टिक्स इन द एनवायरनमेन्ट (आईसीपीई) और गोवा वेस्ट मैनेजमेन्ट कॉर्पोरेशन के साथ यही परियोजना लॉन्च की गई। भोपाल में लॉन्च के साथ ही एचसीसीबी 50 प्रमुख शहरों में रिसाइकल कार्यक्रमों के लक्ष्य के करीब आया है। एचसीसीबी ऐसा पर्यावरण बनाना चाहता है, जिसमें रिसाइकल की महत्व श्रंृखला का प्रत्येक भागीदार अर्थात् कूड़ा उठाने वालों से लेकर रिसाइक्लर्स तक, सभी संलग्न हों। यह एकीकृत रिसाइक्लिंग कार्यक्रम कई साझीदारों के साथ मिलकर किये जाएंगे, ताकि देश में प्लास्टिक रिसाइकल करने का एक सिरे से दूसरे सिरे तक एक पारिस्थितिक तंत्र निर्मित हो सके।



यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के विषय में

यूएनडीपी 170 से अधिक देशों और क्षेत्रों में काम करता है, ताकि गरीबी को दूर करने, असमानता और बहिष्करण को कम करने में मदद की जा सके। हम देशों को नीतियां विकसित करने, नेतृत्व कौशल, क्षमताओं से साझेदारी, संस्थागत सामर्थ्य और लचीलता के निर्माण में सहयोग करते हैं ताकि स्थायित्वपूर्ण विकास परिणाम प्राप्त किये जा सके।



यूएनडीपी 1951 से लोकतांत्रिक गवर्नेंस से लेकर गरीबी उन्मूलन और स्थायित्वपूर्ण ऊर्जा एवं पर्यावरणीय प्रबंधन तक मानव विकास के लगभग सभी क्षेत्रों में भारत में काम कर रहे हैं। यूएनडीपी के प्रोग्राम राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और इनकी सालाना समीक्षा एवं व्यवस्थापन किया जाता है।

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