Bhopal: 19 मार्च 2023। राजधानी के मानस भवन में 17 से 19 मार्च तक चले पंचम अंतरराष्ट्रीय रामायण अधिवेशन के समापन कार्यक्रम में मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन में विगत 3 दिनो मे कई से देशों पधारे लेखक,साहित्यकारों, मानस मर्मज्ञों ने अपने शोधपत्र वाचन किये तथा उनके व्याख्यान हुये । समापन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष के साथ पूर्व आई ए एस श्री मनोज श्रीवास्तव, ओम प्रकाश गुप्ता यूएसए, (राम चरित भवन बोस्टन अमेरिक) एवं पूर्व सांसद श्री रघुनन्दन शर्मा उपस्थित थे।
यहां पर तीन दिन में कई शोध पत्र विद्वानों ने पढ़े हैं। वस्तुतः आज की परिस्थिति मे इस तरह के कार्य की महति आवश्यकता है, ऐसे रामायण सम्मेलनों की अधिकाधिक जरूरत है। कई विचार के लोग हमारे राम, हमारे मानस और हमारे धर्म पर हमला कर रहे हैं। तरह तरह से यह प्रयास हो रहा है कि हमारी आस्था और विश्वास पर कुठाराघात किया जाए। इस समय रामाणय पर हो रहे शोध के माध्यम से हमें इसकी महानता और सत्यता को प्रमाणित करना है।
भगवान वाल्मिकी जी ने जब रामायण की जो रचना की है वह भगवान श्री राम के समकालीन समय में की है, लेकिन गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरित मानस समकालीन नहीं है। मेरे विचार से रामचरित मानस की रचना जनबोली में की गई ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। इसका प्रमाण यह भी है कि आज गांवों में कई लोगों केा अक्षर ज्ञान नहीं होता है लेकिन वे राम चरित मानस गाते हुए दिखते हैं। रामचरित मानस में देखा जाए तो प्रकृति, राजनीति, स्वास्थ्य, पर्यावरण जैसे जीवन से जुड़े हर विषय के बारे में ज्ञानवर्धक बाते लिखी हुई हैं।
जो लोग बार बार राम चरित मानस पर सवाल उठाते हैं, क्या वे जानते हैं कि हमारे भारत के संविधान की हस्तलिखित प्रति को देखिए उसके प्रथम पृष्ठ पर प्रभु श्री राम, सीता माता और लक्ष्मण जी की तस्वीर बनी हुई है।
धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए, लेकिन धर्म आधारित नीति पर राज होना चाहिए। और तुलसीसदास जी ने तो कहा ही है कि परहित सरसि धर्म नहीं भाई।
श्री गौतम ने आह्वान किया कि आज धर्म के प्रति हम सभी की आस्था और मजबूत बने इसके लिए इस तरह के शोध कार्यों की आवश्यकता है।
हमारी आस्था को मजबूत बनाने के लिए इस तरह के आयोजन आवश्यक: गिरीश गौतम
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Bhopal
👤Posted By: prativad
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