6 दिसंबर 2025। एशियन पाम ऑयल अलायंस (APOA), सॉलिडेरिडाड और द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) द्वारा आयोजित पाम ऑयल कॉन्क्लेव 2025 भोपाल में संपन्न हुआ। कॉन्क्लेव का मुख्य संदेश साफ था—भारत को पाम ऑयल पर मिथकों से आगे बढ़कर पारदर्शी और वैज्ञानिक चर्चा की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य, बाजार और स्थायित्व से जुड़ी गलतफहमियों को दूर किया जा सके।
कार्यक्रम की थीम “पाम ऑयल डायलॉग्स: सोच में बदलाव—हेल्थ, मार्केट, क्लाइमेट” रही। इसमें न्यूट्रिशन, मेडिकल साइंस, एफएमसीजी, फूड प्रोसेसिंग, पत्रकारिता और अकादमिक जगत के 200 से ज्यादा विशेषज्ञ शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि भारतीय उपभोक्ताओं को वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित स्पष्ट जानकारी मिलनी चाहिए, ताकि वे बेहतर और सूचित विकल्प चुन सकें।
APOA के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि भारत लंबे समय तक बाहरी कथाओं से प्रभावित रहा है, जबकि अब देश को अपनी जरूरतों और वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए नई बातचीत शुरू करनी चाहिए। उन्होंने इसे उपभोक्ता विश्वास मजबूत करने की दिशा में जरूरी कदम बताया।
सॉलिडेरिडाड एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शताद्रु चट्टोपाध्याय ने कहा कि पाम ऑयल से जुड़ी जानकारी अक्सर बिखरी और भ्रामक रहती है। IPOS फ्रेमवर्क के ज़रिए संगठन एक जिम्मेदार, विज्ञान-आधारित और किसान-केंद्रित सप्लाई चेन को बढ़ावा दे रहा है। उनके अनुसार, “सस्टेनेबिलिटी और विकास साथ-साथ चलें—आज की चर्चाओं ने यह दिशा और स्पष्ट कर दी।”
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन और मेडिकल विशेषज्ञों ने पाम ऑयल के फैटी एसिड प्रोफाइल, भारतीय खानपान में इसके सुरक्षित उपयोग और खाद्य सुरक्षा में इसकी भूमिका पर तथ्य साझा किए। वरिष्ठ पत्रकार मृत्युंजय कुमार झा ने उपभोक्ताओं और मीडिया में फैलती चिंताओं पर वैज्ञानिक जवाब दिए।
APOA के सेक्रेटरी जनरल डॉ. सुरेश मोटवानी ने कहा कि पाम ऑयल केवल एक कमोडिटी नहीं, बल्कि भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा को मजबूत करने वाला व्यावहारिक समाधान है। आवश्यक विटामिनों और संतुलित फैटी एसिड प्रोफाइल के कारण इसे दुनिया की सबसे बहुपयोगी फसलों में से एक बताया गया।
गोदरेज एग्रोवेट के ऑयल पाम बिज़नेस के सीईओ सौगता नियोगी ने कहा कि जब उपभोक्ता स्वास्थ्य को लेकर और ज्यादा सजग हो रहे हैं, ऐसे समय में यह कॉन्क्लेव भारत को एक जिम्मेदार पाम ऑयल इकोसिस्टम की ओर ले जाने का महत्वपूर्ण अवसर बनता है।
SEA के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी.वी. मेहता ने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत की नींव खेती से ही रखी जाती है। बेहतर बीज, वैज्ञानिक जानकारी और आधुनिक प्रोसेसिंग से भारत खाने के तेलों में आत्मनिर्भरता की ओर तेज कदम बढ़ा सकता है।”
कार्यक्रम में पाम ऑयल से बने उत्पादों की एक आकर्षक प्रदर्शनी भी लगी, जिसने उद्योग विशेषज्ञों, छात्रों, उद्यमियों और उपभोक्ताओं का खास ध्यान खींचा।
इसी दौरान “ऑयल पाम स्टैटिस्टिक्स इन इंडिया: ट्रेंड्स एंड इनसाइट्स” नामक पुस्तक का विमोचन हुआ, जो भारत के ऑयल पाम सेक्टर की स्थिति, वैश्विक तुलना, नीतिगत दिशा और भविष्य के अवसरों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। सॉलिडेरिडाड ने अपने क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि मॉडल के परिणाम भी साझा किए, जिनमें मिट्टी स्वास्थ्य सुधार और किसान-केंद्रित नवाचारों की सराहना की गई।
विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता प्रो. रतन लाल और काउंसिल ऑफ पाम ऑयल प्रोड्यूसिंग कंट्रीज़ की सेक्रेटरी जनरल इज़ाना सालेह ने वीडियो संदेश भेजकर मिट्टी की सेहत, सस्टेनेबिलिटी और वैश्विक सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।
संगठनों के बारे में
एशियन पाम ऑयल अलायंस (APOA)
APOA भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे प्रमुख उपभोक्ता देशों को एक मंच पर लाने वाला क्षेत्रीय गठबंधन है। इसका लक्ष्य जिम्मेदार, टिकाऊ और आर्थिक रूप से सक्षम पाम ऑयल वैल्यू चेन को बढ़ावा देना है।
सॉलिडेरिडाड
यह अंतरराष्ट्रीय संस्था किसानों की आजीविका सुधारने, मिट्टी की सेहत मजबूत करने और जलवायु-लचीली कृषि को बढ़ावा देने पर काम करती है। भारत में यह किसान संगठनों, सरकार और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर टिकाऊ आपूर्ति शृंखलाएं विकसित कर रही है।
द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA)
1963 में स्थापित SEA वनस्पति तेल और तिलहन उद्योग का प्रमुख प्रतिनिधि संगठन है। यह नीति संवाद, बाज़ार अनुसंधान, टिकाऊ उत्पादन और उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम करता है तथा देश की खाद्य तेल अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है।














