17 नवंबर 2025। ऑनलाइन जीवनसाथी की तलाश अब जोखिम भरा सौदा बनती जा रही है। मैट्रिमोनियल वेबसाइटों और डेटिंग ऐप्स पर ‘वेरिफाइड प्रोफाइल’ का टैग ठगों के लिए नया हथियार साबित हो रहा है। भोपाल में ऐसे मामलों में तेज़ उछाल दर्ज किया गया है, जहां ठग खुद को एनआरआई, डॉक्टर या मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाला बताकर लोगों को जाल में फंसा रहे हैं।
साइबर सेल के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2024 में 521 साइबर फ्रॉड दर्ज हुए थे, जबकि 2025 के छह महीनों में ही लगभग 800 शिकायतें सामने आ चुकी हैं। इनमें ऑनलाइन रिश्तों के बहाने की गई ठगी प्रमुख है।
वेरिफाइड बैज पर आंख बंद न करें
शादी के सीजन में मैट्रिमोनियल साइट्स का इस्तेमाल बढ़ा है, लेकिन इन प्लेटफॉर्म्स पर ‘वेरिफाइड प्रोफाइल’ की प्रक्रिया अक्सर सिर्फ दस्तावेज अपलोड और मोबाइल ओटीपी तक सीमित होती है। असली नौकरी, पासपोर्ट या एजुकेशन जैसी जानकारी की सख्त जांच नहीं होती। इसका फायदा उठाकर ठग भरोसा जीतते हैं और बाद में मेडिकल इमरजेंसी, कस्टम क्लीयरेंस या विदेश से लौटने के नाम पर पैसे मांगते हैं।
भोपाल साइबर सेल के हेमराज सिंह चौहान बताते हैं, “एल्गोरिथम आधारित वेरिफिकेशन से प्रोफाइल आसानी से पास हो जाते हैं, और ठग इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं।”
अकेली रह रही महिलाएं ज्यादा निशाने पर
साइबर एक्सपर्ट प्रो. शिवम् वर्षी के मुताबिक, “आईटी सेक्टर और निजी नौकरियों में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी के कारण शहर में ऑनलाइन रिश्तों की तलाश बढ़ी है। अकेले रहकर नौकरी करने वाली महिलाओं को ठग अधिक टारगेट करते हैं। कई परिवार भी जल्द मैचिंग के चक्कर में प्रोफाइल की गहराई से जांच नहीं करते।”
भोपाल के मामलों में एक जैसा पैटर्न
अधिकतर मामलों में आरोपी वीडियो कॉल से बचते हैं और चैट पर भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाते हैं। कई महिलाएं 2 से 5 लाख रुपये तक गंवा चुकी हैं।
टीटी नगर की एक पीड़िता ने बताया कि एक विदेशी डॉक्टर ने ‘वेरिफाइड प्रोफाइल’ दिखाकर भरोसा जीता और मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर पैसे लेता गया, फिर मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया।
ऐसे बचें ऑनलाइन शादी-ठगी से
प्रोफाइल पर अपनी निजी जानकारी जैसे फोन नंबर, एड्रेस, कॉलेज या कार्यस्थल साझा न करें।
वेरिफिकेशन और सुरक्षा सेटिंग्स की जांच करें।
जल्दी भरोसा न करें और लोकेशन शेयर करने से बचें।
किसी भी लिंक या फाइल पर क्लिक करने से पहले सतर्क रहें।
सिर्फ ऑफिशियल ऐप स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें।
बैंक डिटेल, ओटीपी या पहचान संबंधी निजी जानकारी कभी साझा न करें।
पहली मुलाकात हमेशा पब्लिक प्लेस में करें।
संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत साइबर सेल से संपर्क करें।














