3 दिसंबर 2025। भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बुधवार को निकाली गई गैस पीड़ितों की रैली उस वक्त तनाव में बदल गई, जब जुलूस के दौरान ले जाए जा रहे एक पुतले को लेकर RSS और BJP कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई। विवाद बढ़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए पुतले ज़ब्त कर लिए और रैली को आगे बढ़ने से रोक दिया।
गैस पीड़ितों के संगठन भारत टॉकीज अंडरब्रिज से यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (UCC) प्लांट साइट तक मार्च निकाल रहे थे। जुलूस में यूनियन कार्बाइड, डाउ केमिकल और एक खाकी वर्दी वाले पुतले को शामिल किया गया था। इसी पुतले को RSS कार्यकर्ताओं ने “RSS कार्यकर्ता का रूप” बताकर आपत्ति जताई।
किस बात पर विवाद भड़का
RSS और BJP कार्यकर्ताओं का कहना था कि पुतले में उनके संगठन को निशाना बनाया गया है और इससे धार्मिक व संगठनात्मक भावनाएँ आहत हुई हैं। उन्होंने इस कदम को “भड़काऊ” और “देश-विरोधी” बताया और पुतला तुरंत हटाने की मांग की। इसके बाद दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए।
गैस पीड़ितों के संगठनों ने आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि पुतले किसी संगठन को नहीं, बल्कि त्रासदी के लिए जिम्मेदार कंपनियों को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाते हैं। उन्होंने BJP सरकार पर आरोप लगाया कि वह “डाउ केमिकल को बचाने” की कोशिश कर रही है और दोषी कंपनियों पर कार्रवाई की मांग को कमजोर कर रही है।
कौन क्या बोला
RSS कार्यकर्ता अवनी शर्मा ने कहा,
“RSS का पुतला दिखाने से भावनाएँ आहत हुईं। इसलिए हमने विरोध किया। पुलिस ने पुतले ज़ब्त कर लिए। हमारी मांग है कि इन गैस पीड़ितों पर NSA के तहत कार्रवाई की जाए। RSS ने त्रासदी के समय हमेशा पीड़ितों के लिए काम किया है।”
गैस पीड़ितों के एक्टिविस्ट सतीनाथ सारंगी ने कहा,
“हमने खाकी वर्दी वाले पुतले को कोई नाम नहीं दिया था। इसके बावजूद RSS और BJP कार्यकर्ताओं ने रैली में दखल दिया। बाद में पुलिस ने खाकी वाले और डाउ केमिकल वाले दोनों पुतले ज़ब्त कर लिए।”
पुलिस कार्रवाई
ACP राकेश बघेल ने बताया कि गैस पीड़ितों के खिलाफ IPC की धारा 153-A और 180 के तहत केस दर्ज किया गया है। चालान प्रस्तुत होने के बाद NSA के तहत कार्रवाई की संभावना होगी।














