पुनर्योजी कृषि में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 14 विशेषज्ञ सम्मानित
5 दिसंबर 2025। विश्व मृदा दिवस के अवसर पर सॉलिडरीडाड और भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान ने भोपाल में प्रोफेसर रतन लाल अवॉर्ड्स की शुरुआत की। इन अवॉर्ड्स का उद्देश्य देश में मिट्टी की सेहत, टिकाऊ खेती और पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने वाले उत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित करना है। दुनिया के जाने-माने मृदा वैज्ञानिक, वर्ल्ड फूड प्राइज विजेता और मिट्टी में कार्बन बढ़ाने के वैश्विक विशेषज्ञ पद्मश्री प्रोफेसर रतन लाल कार्यक्रम में अमेरिका से ऑनलाइन जुड़े। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मिट्टी का स्वस्थ होना खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से निपटने और प्रकृति के संतुलन के लिए बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम में पहला लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड पद्मश्री डॉ. एम.एच. मेहता को उनके लंबे समय से इको-एग्रीकल्चर और मिट्टी के संरक्षण में किए गए कार्यों के लिए दिया गया। इसके अलावा देशभर के 13 अन्य विशेषज्ञों और संस्थानों को विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया, जिनमें इंजीनियर अवधेश कुमार नेमा, ICAR–नेशनल सोयाबीन रिसर्च इंस्टीट्यूट, श्रीमती रजनी कुशवाह, डॉ. सविता कुमारी, डॉ. ओपिंदर सिंह संधू, सर्वथोभद्रम ऑर्गेनिक्स सोसाइटी, श्री कमलाशंकर विश्वकर्मा, लुइस ड्रेफस कंपनी इंडिया, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, डॉ. राम स्वरूप मीणा, भरूवा एग्रीसाइंस, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, और पत्रकार मृत्युंजय कुमार झा शामिल हैं
समारोह में बोलते हुए, डॉ. शताद्रु चट्टोपाध्याय, प्रबंध निदेशक, सॉलिडरीडाड एशिया ने कहा
“प्रोफेसर रतन लाल ने मिट्टी के स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमें हमेशा प्रेरित किया है। पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने के लिए, सॉलिडरीडाड ने भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए यह पुरस्कार शुरू किया है। आज हम उन लोगों को सम्मानित कर रहे हैं, जो मिट्टी को स्वस्थ बना रहे हैं, किसानों को सशक्त कर रहे हैं और भारत के लिए जलवायु-सहिष्णु भविष्य तैयार कर रहे हैं।”
इस अवसर पर डॉ. मनोरंजन मोहंती, निदेशक, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान ने कहा, “विश्व मृदा दिवस पर इन पुरस्कारों का आयोजन करना बेहद महत्वपूर्ण है। यह आयोजन उन नवाचारी व्यक्तियों को एक साथ लाया है, जो भारत की मिट्टी और कृषि प्रणालियों में असली बदलाव ला रहे हैं। उनकी उपलब्धियाँ प्रोफेसर रतन लाल की सोच को दर्शाती हैं। भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान को सॉलिडरीडाड के साथ मिलकर ऐसे प्रभावशाली कार्यों को सम्मानित करने में गर्व है।”
डॉ. सुरेश मोटवानी, महाप्रबंधक, सॉलिडरीडाड ने कहा “विश्व मृदा दिवस इस पुरस्कार को शुरू करने का सबसे सही समय है। प्रोफेसर रतन लाल के साथ हमारा जुड़ाव हमें हमेशा मिट्टी की सेहत के काम के लिए प्रेरित करता रहा है। यह पुरस्कार उनके योगदान को सम्मान देने का एक तरीका है। इसके जरिए हम अगली पीढ़ी को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और मिट्टी की सुरक्षा और सुधार में समाज स्तर पर असली बदलाव लाना चाहते हैं।”
कार्यक्रम में दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया — एन आउंस ऑफ एक्शन: साइंस, स्पिरिचुअलिटी एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट जो पद्मश्री डॉ. एम.एच. मेहता द्वारा लिखी गई है, और एबीसी ऑफ रीजनरेटिव एग्रीकल्चर का हिंदी संस्करण, जिसे प्रोफेसर रतन लाल ने लिखा है। साथ ही, सॉलिडरीडाड और भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान ने 20 प्रमुख महिला मृदा वैज्ञानिकों पर आधारित एक विशेष कॉफी टेबल बुक की घोषणा भी की, जिसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी किया जाएगा।
इन पुरस्कारों का पहला संस्करण भारत में मिट्टी-केंद्रित और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए सॉलिडरीडाड और भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के मिलकर किए जा रहे प्रयासों को मजबूत करता है।
संगठनों के बारे में
सॉलिडरीडाड के बारे में:
सॉलिडरीडाड एक अंतरराष्ट्रीय नागरिक समाज संगठन है, जो किसानों की आजीविका को मजबूत करने, मिट्टी के स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने और जलवायु-सहिष्णु, पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने का काम करता है। सरकार, अनुसंधान संस्थानों, किसान उत्पादन समूहों (FPOs) और ग्रामीण समुदायों के साथ साझेदारी के माध्यम से, सॉलिडेरिडाड स्थायी आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में मदद कर रहा है और किसानों को ऐसे प्रथाओं से सशक्त बना रहा है जो मिट्टी की रक्षा करती हैं, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती हैं और दीर्घकालिक कृषि समृद्धि सुनिश्चित करती हैं।
आईसीएआर–भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (IISS) के बारे में:
भोपाल स्थित आईसीएआर–भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भारत का प्रमुख राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान है, जो मृदा विज्ञान, पोषक तत्व प्रबंधन और सतत कृषि प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का एक घटक होने के नाते, IISS मिट्टी के स्वास्थ्य, कार्बन संचयन, मृदा उर्वरकता वृद्धि, जलवायु-सहिष्णु भूमि प्रबंधन और संरक्षण कृषि पर अग्रणी अनुसंधान करता है।














