26 दिसंबर 2025। श्री रतनलाल फाउंडेशन ने वर्ष 2025 के प्रतिष्ठित सुशीला देवी पुरस्कार के लिए भारतीय–अमेरिकी लेखिका एस. बी. दिव्या के नाम की घोषणा की है। यह पुरस्कार वर्ष 2024 में महिला लेखिका द्वारा लिखी गई सर्वश्रेष्ठ कथा-पुस्तक के लिए प्रदान किया जा रहा है। सुश्री दिव्या को यह पुरुस्कार भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल 2026 के दौरान किया जाएगा। उनको यह सम्मान हैशेट इंडिया द्वारा प्रकाशित उनके उपन्यास ‘लोका’ के लिए दिया जा रहा है, जिसे विशिष्ट जूरी ने स्पेकुलेटिव फिक्शन विधा में साहित्यिक उत्कृष्टता, मौलिकता और दार्शनिक गहराई के लिए सर्वसम्मति से चुना है।
भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल के डायरेक्टर राघव चंद्रा ने आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि एस. बी. दिव्या एक पुरस्कार-विजेता भारतीय–अमेरिकी लेखिका हैं, जो स्पेकुलेटिव और विज्ञान कथा साहित्य में अपने विशिष्ट लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनके लेखन में तकनीक, पहचान, नैतिकता और उत्तर-मानवी भविष्य जैसे विषय गहरी दार्शनिक दृष्टि के साथ उभरते हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘मशीनहुड’, ‘मेरु’ और अब ‘लोका’ शामिल हैं। उन्हें नेब्युला पुरस्कार सहित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है और उन्हें वैश्विक स्पेकुलेटिव फिक्शन की समकालीन महत्वपूर्ण आवाज़ माना जाता है।
श्री रतनलाल फाउंडेशन द्वारा स्थापित सुशीला देवी पुरस्कार ने बीते वर्षों में साहित्यिक उत्कृष्टता के एक महत्वपूर्ण मानक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। सातवें वर्ष में प्रवेश कर चुका यह पुरस्कार विशेष रूप से महिला लेखिकाओं की कथा-रचनाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इससे पूर्व यह पुरस्कार 2024 में मंजुला पद्मनाभन को ‘टैक्सी’ के लिए, 2023 में जेनिस पैरियट को ‘एवरीथिंग द लाइट टचेज़’ के लिए, 2022 में अनुराधा रॉय को ‘द अर्थस्पिनर’ के लिए, 2021 में अनुक्रति उपाध्याय को ‘किंत्सुगी’ के लिए, 2020 में शुभांगी स्वरूप को ‘लैटिट्यूड्स ऑफ लॉन्गिंग’ के लिए और 2019 में नमिता गोखले को ‘थिंग्स टू लीव बिहाइंड’ के लिए प्रदान किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि सुशीला देवी पुरस्कार का समारोह भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल 2026 के दौरान 9 से 11 जनवरी 2026 तक आयोजित किया जाएगा, जहां महिला लेखिकाओं की कथा-रचनाओं में उत्कृष्टता और सृजनात्मक उपलब्धियों का उत्सव मनाया जाएगा।
अपने आधिकारिक प्रशस्ति-पत्र में जूरी ने उल्लेख किया है कि ‘लोका’ तकनीक-प्रधान समाज की पृष्ठभूमि में भी सहानुभूति, करुणा, प्रेम और मित्रता जैसे मानवीय मूल्यों को जीवित रखता है। ‘लोका’ को ‘पृथ्वी’ के एक रूप के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, जिसमें अनेक अनजानी परतें समाहित हैं, फिर भी यह कथा यथार्थपरक और अत्यंत विश्वसनीय प्रतीत होती है। उपन्यास ऐसे उत्तर-मानवी संसार की कल्पना करता है, जहां मानव प्रजाति नए रूपों में विकसित हो चुकी है और ‘एलॉयज़’ का वर्चस्व है, लेकिन इसके बावजूद प्रेम और मित्रता की अवधारणाएं अपना स्थान बनाए रखती हैं। इस विज्ञान कथा में तकनीक-चालित दुनिया के भीतर चेतना और दर्शन के रूपांतरण को प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया गया है। जूरी के अनुसार, एस. बी. दिव्या ने कल्पना-लोक और मानवतावाद का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत किया है, जिसमें अंतरिक्ष के कुछ अविस्मरणीय दृश्य भी शामिल हैं, और इसी कारण ‘लोका’ को एक उत्कृष्ट कथा-कृति मानते हुए विजेता घोषित किया गया।














