1 दिसंबर 2025। रवीन्द्र भवन परिसर में आयोजित “विश्व रंग 2025 – टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव” अपने चार दिवसीय सृजनात्मक, वैचारिक एवं सांस्कृतिक आयामों के साथ भव्य और भावपूर्ण समापन के साथ संपन्न हो गया। इस विराट आयोजन का उद्घाटन माननीय राज्यपाल मंगुभाई पटेल के कर-कमलों से हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मॉरीशस गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपति श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन उपस्थित रहे। महोत्सव के दूसरे दिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम में सहभागिता करते हुए इसे मध्यप्रदेश की सृजनशील चेतना का उत्सव बताया। वहीं समापन सत्र की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ साहित्यकार रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने की। विश्वरंग फाउंडेशन एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान तथा मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित इस सातवें संस्करण में देश-विदेश के साहित्यकारों, कलाकारों, शिक्षाविदों, विचारकों एवं युवाओं की व्यापक सहभागिता रही, जिसने इस महोत्सव को वास्तविक अर्थों में एक वैश्विक सांस्कृतिक महाकुंभ का स्वरूप प्रदान किया। इस वर्ष विश्वरंग ने डिजिटल माध्यमों, सामाजिक नेटवर्क और प्रत्यक्ष सहभागिता के जरिए विश्व-भर में 4.7 करोड़ (47 मिलियन) से अधिक दर्शकों तक अपनी पहुँच बनाई, जो भारतीय साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों की श्रृंखला में एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में अंकित हुआ।
27 नवंबर को उद्घाटन सत्र में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विश्वरंग को भारतीय परंपरा और आधुनिक चेतना के मध्य एक सशक्त सांस्कृतिक सेतु बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजन भाषाओं और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच प्रदान करते हैं। मुख्य अतिथि पृथ्वीराज सिंह रूपन ने भारतीय साहित्य को मानवीय संवेदना का सार्वभौमिक दूत निरूपित करते हुए कहा कि “विश्व रंग” वैश्विक समाज को सांस्कृतिक संतुलन और भावनात्मक सामंजस्य की दृष्टि देता है। इस अवसर पर विश्वरंग के महानिदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे, स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के चांसलर तथा सह-निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, तथा प्रो-चांसलर एवं सह-निदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। दूसरे दिन के मुख्य समारोह का उद्घाटन करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भोपाल अब भारतीय भाषा चेतना और वैश्विक साहित्यिक संवाद का प्रमुख केंद्र बन रहा है तथा विश्वरंग मध्यप्रदेश की सृजनात्मक आत्मा का उत्सव है।
दूसरे दिन का शुभारंभ ध्रुपद संस्थान के मंगलाचरण से हुआ। तानपुरे की स्वर-माधुरी तथा राग भोपाली, यमन और केदार की सुरलहरियों ने वातावरण को आध्यात्मिक संगीत साधना से सराबोर कर दिया।
वैचारिक सत्रों में “21वीं सदी के सवाल – साहित्य, समाज और संस्कृति”, “नई सदी के कौशल” तथा एआई युग में मानव चेतना पर संकट और भाषा क्षरण जैसे विषयों पर विचार-मंथन हुआ। इन सत्रों में डॉ. नंदकिशोर आचार्य, संतोष चौबे, अंकुर वारिकू, आकाश चोपड़ा और गीतकार स्वानंद किरकिरे जैसे वक्ताओं ने युवाओं से संवाद किया। तीसरे दिन पत्रकार सौरभ द्विवेदी और अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा के साथ विशेष संवाद सत्र में अभिनय प्रक्रिया, आत्मानुशासन एवं जीवन संघर्षों पर प्रेरक विमर्श हुआ।
तीन दिनों तक चले 12 से अधिक समानांतर मंचों पर “कौटिल्य से कॉर्पोरेट तक”, “कहानी व कविता में सदी के सरोकार”, “साहित्य की नई भाषा और युवा लेखन”, “सिनेमा – कल, आज और कल”, “ओटीटी पर बदलता आख्यान”, “भारत की उभरती खेल शक्ति”, “आभासी संचार के आयाम”, “युद्ध एवं युद्ध-विरोधी कला” तथा “लेखक से मिलिए” जैसे विषयों पर व्यापक विमर्श हुआ। इन मंचों पर राधाकृष्णन पिल्लई, फैजल मलिक, दिव्या दत्ता, राजेंद्र गुप्ता, दिव्या प्रकाश दुबे, ममता कालिया, नीलोत्पल मृणाल, शिवमूर्ति, पुष्पेश पंत, प्रिया मलिक, सुमित अवस्थी और ए. अरविंदाक्षन सहित अनेक प्रतिष्ठित हस्तियों ने सहभागिता की।
प्रवासी साहित्य पर केन्द्रित सत्रों में नीदरलैंड, शारजाह, श्रीलंका, स्वीडन, इटली, अमेरिका, बेल्जियम, कनाडा, म्यांमार, बहरीन, जापान और इंडोनेशिया से आए रचनाकारों ने सहभागिता करते हुए वैश्विक संदर्भों में भाषा-संरक्षण, सांस्कृतिक पहचान और शिक्षण पद्धतियों पर विचार साझा किए।
उद्घाटन सत्र में विभिन्न भारतीय भाषाओं के वरिष्ठ रचनाकारों को “विश्व रंग सम्मान” से अलंकृत किया गया। वहीं अंतिम दिन आयोजित 7वीं टैगोर अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में देश-विदेश से प्राप्त हजारों प्रविष्टियों में से चयनित 100 युवा कलाकारों को सम्मानित किया गया।
महोत्सव की प्रत्येक सायंकालीन संध्याएँ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी रहीं। त्रिप्ति नागर द्वारा प्रस्तुत मालवी लोकनृत्य, शुभव्रत सेन का बांग्ला लोक संगीत, श्रीराम कला केंद्र की श्रीकृष्ण लीला, देशराग प्रस्तुति तथा कलेक्टिव क्वायर बैंड के गायन को श्रोताओं का अपार स्नेह मिला। समापन संध्या को बॉलीवुड गायिका सोना महापात्रा ने “बेदर्दी राजा”, “आई गिरी नंदिनी”, “छाप तिलक”, “जिया लागे ना”, “नारायण राम रमणा” और “अम्बर सरिया” जैसे लोकप्रिय गीतों से यादगार बना दिया।
चौथे दिन आयोजित “उत्तर-रंग” में सातवानी गायन की सुमधुर प्रस्तुति के पश्चात प्रियंका शक्ति ठाकुर निर्देशित महानाट्य “अहिल्या रूपेण संस्थिता” का मंचन हुआ, जिसमें लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन-दर्शन, न्यायनिष्ठा और लोकसेवा को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया गया।
समापन सत्र में पृथ्वीराज सिंह रूपन ने कहा कि “विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक सद्भाव का सशक्त संदेश दे रहा है।” अध्यक्षता करते हुए रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इसे भारत की वैश्विक सांस्कृतिक पहचान को मजबूती देने वाली अभिनव पहल बताया। चार दिवसीय विश्वरंग 2025 साहित्य, कला, संगीत, सिनेमा एवं अंतरराष्ट्रीय संवाद का एक अद्वितीय संगम बनकर इतिहास के पन्नों में अंकित हो गया — जिसने भोपाल को भारतीय भाषाओं और वैश्विक सांस्कृतिक विमर्श के एक सशक्त केंद्र के रूप में स्थापित किया।














