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पैसे नहीं मिलने पर रेप की शिकायत नहीं: सुप्रीम कोर्ट

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 20500

बलात्कार के आरोप में तीन व्यक्तियों को बरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि ग्राहक यदि भुगतान करने से मना कर दे तो कोई यौनकर्मी इसे यौन हिंसा बताकर उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज नहीं कर सकता.



जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस अमिताव रॉय की पीठ ने कहा है कि कथित बलात्कार के लिए किसी महिला की ओर से दिए गए सबूतों को अदालत में महत्व दिया जाना चाहिए लेकिन इसे 'परम सत्य' की तरह नहीं माना जा सकता.



सुप्रीम कोर्ट ने ये व्यवस्था बेंगलुरु के 20 साल पुराने एक मामले के संबंध में दी है. तब घरेलू कर्मचारी के तौर पर काम करने वाली एक महिला ने तीन लोगों पर अग़वा करके गैराज में उसके साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था.



तीनों अभियुक्तों ने इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट से मिली सज़ा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.

इस पर जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस अमिताव रॉय की पीठ ने सबूतों पर दोबारा विचार करने के बाद कहा, "कथित घटना के दौरान पीड़िता का आचरण वैसा नहीं था जैसा किसी बलात्कार पीड़िता का होता है और ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं कुछ सहमति तो थी."



निचली अदालत में दिए बयान में कथित पीड़िता ने कहा था कि तीनों अभियुक्तों ने जब उसे फेंक दिया, उसके बाद शिकायत दर्ज कराने से पहले ज़रूरी सबूत जुटाने के लिए वो उस गैराज में गई जहां उसके साथ बलात्कार हुआ था.



लेकिन उसकी एक साथी ने बताया कि वो अभियुक्तों से अक्सर आर्थिक मदद लेती थी और घरेलू कामों के बाद रात के वक्त वेश्यावृत्ति भी करती थी. उसने अदालत को ये भी बताया कि कथित पीड़ित महिला ने अपने साथ बलात्कार के बाद अभियुक्तों से 1,000 रुपये भी मांगे थे जिसे उन्होंने देने से उन्होंने मना कर दिया.



जब उससे पूछा गया कि उसने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ शिकायत क्यों दर्ज कराई तो कथित पीड़ित महिला ने कहा कि वो चाहती है कि अदालत उसे अभियुक्तों से वो रक़म दिलाए जो वो चाहती है.

इस पर जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस अमिताव रॉय की पीठ ने तीनों अभियुक्तों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया है.





- (बीबीसी)

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