1 दिसंबर 2024। भोपाल गैस त्रासदी को चार दशक बीत चुके हैं, लेकिन यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) प्लांट में अब भी 337 मीट्रिक टन जहरीला रासायनिक कचरा पड़ा हुआ है। 2-3 दिसंबर 1984 की भयावह रात की यह त्रासदी अब भी भोपाल पर अपनी छाया बनाए हुए है।
फंड उपलब्ध, लेकिन निपटान में देरी
भारत सरकार ने जहरीले कचरे के निपटान के लिए 126 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। योजना के तहत, कचरे को पीथमपुर में एक औद्योगिक भस्मीकरण सुविधा में नष्ट किया जाना है। हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निर्णय और क्रियान्वयन में देरी हो रही है।
भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने 30 जुलाई 2023 को लोकसभा में इस देरी का मुद्दा उठाते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की। गैस राहत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फंड उपलब्ध है, लेकिन अंतिम निर्णय राज्य सरकार के हाथों में है।
पिछले प्रयास और रुकावटें
2012 में, मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसमें इंदौर के पास यशवंत सागर बांध के संभावित प्रदूषण और स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य जोखिम का हवाला देते हुए पीथमपुर में कचरे के भस्मीकरण का विरोध किया गया था।
इससे पहले, एक जर्मन कंपनी GIZ ने 346 मीट्रिक टन कचरे को हैम्बर्ग ले जाकर नष्ट करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, जर्मन पर्यावरण संगठनों और कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते यह योजना रद्द कर दी गई।
2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 2015 में 10 मीट्रिक टन कचरे का परीक्षण किया गया। इसके बावजूद, शेष कचरा अब भी यूसीसी प्लांट में पड़ा हुआ है।
नए निर्णय, फिर भी कार्यवाही अधूरी
जुलाई 2023 में निरीक्षण समिति ने पीथमपुर औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कचरे का निपटान करने का फैसला किया। समिति ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को फंड तुरंत हस्तांतरित करने का निर्देश दिया।
राज्य सरकार पर जिम्मेदारी
गैस राहत विभाग के प्रमुख सचिव, संदीप यादव ने कहा, "भस्मीकरण योजना और यूसीसी साइट की सफाई पर निर्णय राज्य सरकार को लेना है। केंद्र सरकार ने धन आवंटित कर दिया है, लेकिन क्रियान्वयन का अंतिम निर्णय राज्य सरकार पर निर्भर है।"
40 साल बाद भी, यह मामला न केवल पर्यावरणीय चिंता का विषय है, बल्कि उन लाखों पीड़ितों के प्रति जवाबदेही की भी मांग करता है, जो आज भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं।						














