7 दिसंबर 2024। भोपाल गैस त्रासदी, जिसे दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदा माना जाता है, एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बन गई है। इस बार यह मामला अमेरिकी संसद में गूंजा है, जहां पीड़ितों को न्याय और मुआवजा दिलाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं।
त्रासदी की भयावहता: 40 साल बाद भी दर्द कायम
2-3 दिसंबर 1984 की उस काली रात को भोपाल के यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इस हादसे में तत्काल 22,000 से अधिक लोग मारे गए, जबकि लगभग 5.74 लाख लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए। कई पीढ़ियां आज भी इस हादसे के असर को झेल रही हैं।
लेकिन इतने बड़े हादसे के बावजूद यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल के मालिकों और अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। पीड़ित परिवारों को मामूली मुआवजा देकर मामले को खत्म करने की कोशिश की गई। अब इस त्रासदी के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अमेरिकी संसद में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया गया है।
राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस का प्रस्ताव
भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी पर, अमेरिकी सीनेटर जेफ मार्कले और प्रतिनिधि सभा की सदस्य प्रमिला जयपाल और रशीदा तलेब ने एक प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव 3 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस’ के रूप में मनाने की मांग करता है। जेफ मार्कले ने इस मौके पर कहा, “रासायनिक आपदाएं हमेशा सुरक्षा के बजाय मुनाफे को प्राथमिकता देने का नतीजा होती हैं। भोपाल गैस त्रासदी ने लाखों जिंदगियां तबाह कर दीं और इसका असर आज भी लोगों पर पड़ा रहा है।” अब तक इस प्रस्ताव को आठ सांसदों का समर्थन मिल चुका है।
डाउ केमिकल और यूनियन कार्बाइड को जिम्मेदार ठहराया गया
इस प्रस्ताव में यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल को हादसे के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है। प्रमिला जयपाल ने अपने वक्तव्य में कहा, “डाउ केमिकल को पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए। लेकिन वे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि को लागू करने के कई प्रयास अब तक विफल रहे हैं। इस वजह से त्रासदी के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं हो पाई। लेकिन अब अमेरिकी संसद में इस प्रस्ताव के आने से पीड़ितों में न्याय की नई उम्मीद जगी है।
अमेरिकी सांसदों का डाउ केमिकल के खिलाफ कदम
भोपाल गैस पीड़ितों के लिए सक्रिय कार्यकर्ता रचना ढींगरा और दो अन्य पीड़ित महिलाएं इस साल अगस्त में 40 दिनों के अमेरिकी दौरे पर गई थीं। इस दौरे के दौरान उन्होंने अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की और यूनिवर्सिटी के छात्रों को भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जागरूक किया। रचना ढींगरा ने बताया, “अमेरिका में प्रमिला जयपाल और रशीदा तलेब के राज्यों में भी यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल जैसे कारखाने हैं। इसलिए उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी को लेकर आवाज उठाने का भरोसा दिया।”
भोपाल गैस कांड केवल भारत की नहीं, बल्कि विश्व की त्रासदी है। यह हादसा औद्योगिक सुरक्षा, मानवाधिकार और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी के प्रति वैश्विक चेतना जगाने का प्रतीक बन गया है।
अमेरिकी संसद में इस प्रस्ताव के आने से न केवल पीड़ितों को मुआवजा मिलने की उम्मीद बढ़ी है, बल्कि यह कदम भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए भी एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका और भारत सरकार इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ती हैं और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
भोपाल गैस त्रासदी: अमेरिकी संसद में न्याय और मुआवजे के लिए नई पहल
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 4680
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