भोपाल में तिब्बती चिकित्सा शिविर: प्राचीन परंपरा से आधुनिक समाधान

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 946

24 जनवरी 2025। तिब्बती चिकित्सा (सोवा-रिग्पा) भोपाल में आयोजित होने जा रहें तिब्बती चिकित्सा शिविर में प्राचीन तिब्बती चिकित्सा पद्धति "सोवा-रिग्पा" 25 से 27 जनवरी तक शहर में हो रहा हैं। यह चिकित्सा पद्धति तिब्बत की प्राचीन संस्कृति से निकली है और आज भी समयानुकूल समाधान प्रदान करती है। यह परंपरा मन, शरीर और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध को समझाती है और संतुलन बनाए रखने पर जोर देती है।

जीवन का उद्देश्य और उपचार की दृष्टि:
तिब्बती चिकित्सा का मानना है कि जीवन का उद्देश्य खुशी प्राप्त करना है। भोपाल में आयोजित शिविर में विशेषज्ञों का कहना हैं कि यह पद्धति व्यक्ति की जन्मजात प्रकृति और स्वास्थ्य स्थिति का विश्लेषण करके स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह देती है। यह न केवल समस्याओं के मूल कारणों का उपचार करती है बल्कि मानसिक और शारीरिक संतुलन के माध्यम से संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।



उपचार विधियाँ और परामर्श:
परामर्श (Consultation):
रोग का निदान मुख्य रूप से पूछताछ, नाड़ी परीक्षण, मूत्र जांच और पिछले मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर किया जाता है।

दवाइयाँ (Medicine):
तिब्बती दवाइयाँ पूरी तरह से प्राकृतिक और हर्बल होती हैं। ये दवाइयाँ रोगों की जड़ तक पहुँचकर समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं। ये दवाइयाँ बिना किसी मिलावट और दुष्प्रभाव के सुरक्षित मानी जाती हैं।

खानपान सलाह (Dietary Advice):
प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और शारीरिक प्रकृति के आधार पर व्यक्तिगत आहार संबंधी सलाह दी जाती है।



थैरेपी (Therapies):
विभिन्न थैरेपी जैसे मोक्सिबस्टन, एक्यूपंक्चर, कपिंग थैरेपी, एक्यूप्रेशर, गोल्डन नीडल थैरेपी, कम्प्रेशन थैरेपी, चिरोप्रैक्टिक और डीप टिश्यू थैरेपी का उपयोग किया जाता है।

प्रभावी रोग उपचार:
तिब्बती चिकित्सा को निम्नलिखित रोगों के उपचार में प्रभावी पाया गया है:

कैंसर और पुरानी बीमारियाँ: एलर्जी, पाचन संबंधी विकार (गैस, बवासीर, एसिडिटी, कब्ज), त्वचा रोग (सोरायसिस)।
तंत्रिका तंत्र विकार: मनोदैहिक विकार, यकृत और गुर्दा विकार, गठिया।
सांस संबंधी समस्याएँ: साइनस, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा।
महिला स्वास्थ्य समस्याएँ:
हृदय और रक्त संचार संबंधी समस्याएँ: स्ट्रोक, लकवा, अनिद्रा, चिंता।
मधुमेह और शारीरिक दर्द: माइग्रेन, गर्दन दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द, साइटिका।

प्रख्यात तिब्बती चिकित्सा विशेषज्ञ:
डॉ. ताशी दोरजी (BSRMS)

डॉ. त्सेरिंग यांगजोंग (BSRMS)

इन विशेषज्ञों ने भारत के हिमालयी क्षेत्रों जैसे लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, और दक्षिण भारत में कर्नाटक और नेपाल के काठमांडू में चिकित्सा शिविर आयोजित किए हैं। उनकी समर्पित सेवाओं ने हजारों रोगियों को लाभान्वित किया है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : 6307283176


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