
12 नवम्बर 2016, भवनों, दीवारों एवं अन्य सिविल निर्माणों में घरेलू और सजावटी पेंट में अब निर्धारित मात्रा से अधिक सीसा प्रतिबंधित रहेगा। केंद्र सरकार ने इस संबंध में पर्यावरण संरक्षण नियम 1986 के तहत नये नियम जारी कर दिये हैं।
नये नियमों के तहत पेंट निर्माता कंपनियों को अब अपने पेंट में सुखाये गये पेंट के भार के कुल अवाष्पशील (नान वालाटाईल) मात्रा के भार के प्रति मीलियन .009 प्रतिशत से अधिक सीसा नहीं रखना होगा। इसके अलावा इन कंपनियों को अपने पेंट उत्पादों को बाजार में लाने के पूर्व केंन्द्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान से परीक्षण कराना होगा तथा परीक्षण में खरा उतरने पर अपने पेंट के हर उत्पाद यानी एनैमल, प्राइमर, इंटीररियर, अंडरकोटिंग और फिनिशिंग रोगन सामग्री पर लेबल चिपकाना होगा कि यह सीसा रहित है।
केंन्द्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान का बेंगलुरु में मुख्यालय और भोपाल, गुवाहटी,हैदराबाद, कोलकत्ता, नागपुर, नासिक और नोएडा में क्षेत्रीय कार्यालय हैं जहां पेंट निर्माता कंपनियों को अपने उत्पाद का परीक्षण कराना होगा।
ये नये नियम एक साल बाद प्रभावशील होंगे तथा वर्तमान पेंट उत्पादों को दो वर्ष तक बेचा जा सकेगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन नियमों के कार्यान्वयन हेतु नोडल अभिकरण होगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के जोनल अधिकारी आरएस कोरी के अनुसार, सीसा से किडनी और रक्त पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा कैंसर भी हो जाता है। दीवारों में रंगरोगन के लिये उपयोग में आने वाले पेंट में सीसा निर्धारित मात्रा से अधिक होता है तथा जब दीवारों से पुराने पेंट को लौहे की पत्ती से घिसा जाता है तो उससे डस्ट निकलती है जो व्यक्ति के शरीर में सांस लेने के दौरान प्रवेश कर जाती है। इसीलिये अब इसे विनियमित किया गया है।
- डा .नवीन आनँद जोशी