
22 अप्रैल 2025 | प्रतिवाद
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे कारोबारी टकराव के बीच एक बड़ा खुलासा सामने आया है। पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से सीधी बातचीत करना चाहते हैं, और उन्होंने इसके लिए सभी पारंपरिक राजनयिक चैनल लगभग बंद कर दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप बैकचैनल डिप्लोमेसी में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उनकी रणनीति बिल्कुल साफ है – "सीधा संपर्क, बिना बिचौलियों के।"
💥 अमेरिका बनाम चीन: नया व्यापारिक मोर्चा
अमेरिका ने चीन पर 145% तक टैरिफ थोप दिया है, जबकि बीजिंग ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125% टैरिफ लगाकर पलटवार किया है। साथ ही, चीन ने कुछ अहम अमेरिकी निर्यातों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं।
हालांकि अमेरिका ने बाकी कई देशों को टैरिफ बढ़ोतरी से 90 दिनों की राहत दी है, लेकिन बीजिंग को इस राहत से साफ बाहर रखा गया है।
🧭 ट्रंप की सीधी डिप्लोमेसी की नीति
पोलिटिको ने अज्ञात अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि ट्रंप प्रशासन ने बीजिंग के साथ सीधे संवाद के लिए किसी प्रतिनिधि को अधिकृत नहीं किया है, न ही चीन में अमेरिकी राजदूत की पुष्टि की है। यही नहीं, वाशिंगटन ने अब तक चीन के दूतावास से भी कोई आधिकारिक संपर्क नहीं साधा है।
पूर्व अमेरिकी अधिकारी रयान हैस के मुताबिक, "बैकचैनल काम नहीं करते, क्योंकि ट्रंप चाहते ही नहीं हैं। वह शी जिनपिंग से उसी तरह सीधे व्यवहार करना चाहते हैं जैसे वह व्लादिमीर पुतिन के साथ करते रहे हैं।"
🔍 चीन की प्रतिक्रिया: "किसी भी कीमत पर हितों की रक्षा करेंगे"
चीन ने भी अपनी स्थिति साफ कर दी है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह किसी भी ऐसे देश के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जो चीन के हितों को नुकसान पहुंचा कर अमेरिका से सौदा करता है।
💥 अमेरिका की दबाव की रणनीति
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन व्यापारिक टैरिफ छूट की पेशकश को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है ताकि दुनिया भर में अपने व्यापारिक साझेदारों को चीन से दूरी बनाने के लिए मजबूर किया जा सके।