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आंबेडकर के सहारे मिशन 2027 की तैयारी में भाजपा, विपक्ष के 'संविधान खतरे में' नैरेटिव को तोड़ने की रणनीति

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Place: लखनऊ                                                👤By: prativad                                                                Views: 378

28 जून 2025। आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती को वंचित और अति पिछड़े वर्गों से जुड़ने के एक बड़े अवसर में बदल दिया है। पार्टी इस बार 13 दिवसीय ‘आंबेडकर जयंती महाअभियान’ चला रही है, जिसमें मैराथन से लेकर स्वच्छता और जनजागरण कार्यक्रम शामिल हैं। उद्देश्य स्पष्ट है — विपक्ष के संविधान और आरक्षण के डर फैलाने वाले नैरेटिव को तोड़ना और दलित-पिछड़े वर्ग के वोटबैंक तक सीधा पहुंच बनाना।

2024 में झटका, अब जमीनी रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले ने भाजपा को कई सीटों पर नुकसान पहुँचाया। इसके बाद से पार्टी ने रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए वंचितों और अति पिछड़ों के बीच डायरेक्ट कनेक्ट की योजना बनाई है। अब भाजपा डॉ. आंबेडकर की विरासत को अपना बताकर, उस पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को घेरने की तैयारी में है।

13 दिन का विशेष अभियान
भाजपा पहली बार 13 दिनों तक डॉ. आंबेडकर की जयंती मनाने जा रही है।
जयंती की पूर्व संध्या पर दीप प्रज्वलन
राज्यभर में प्रतिमाओं की सफाई
दलित बस्तियों में घर-घर संपर्क और संवाद
मैराथन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये युवा जोड़ने की पहल

15 से 25 अप्रैल तक चलने वाले इस अभियान में भाजपा कार्यकर्ता दलित मोहल्लों में जाकर मोदी और योगी सरकार की उपलब्धियां गिनाएंगे, वहीं विपक्ष पर सवाल उठाएंगे कि कैसे कांग्रेस ने 1952 और 1954 में डॉ. आंबेडकर को हरवाने का प्रयास किया था।

बड़े लक्ष्य की तरफ छोटी-छोटी पहल
भाजपा को भरोसा है कि बसपा की कमजोर होती स्थिति में उसका परंपरागत वोट बैंक अब नए विकल्प की तलाश में है, और भाजपा उस जगह को भरने की कोशिश कर रही है। प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह खुद इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं और वंचितों के बीच जाकर संवाद कर रहे हैं।

दलित प्रभाव वाली सीटों पर भाजपा की नजर
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में भले ही 84 सीटें एससी और 2 एसटी के लिए आरक्षित हों, लेकिन 300 से अधिक सीटों पर दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।

20 जिलों में 25% से अधिक एससी-एसटी आबादी
100 से अधिक सीटें ऐसी, जहाँ 5-10% दलित वोटर चुनावी नतीजे तय करते हैं

भाजपा की कोशिश है कि इन प्रभावशाली क्षेत्रों में समय रहते पकड़ मजबूत की जाए, ताकि मिशन 2027 के तहत वंचित समाज का भरोसा जीता जा सके।

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