लखनऊ 15 दिसंबर 2025। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में गंभीर होते वायु प्रदूषण के स्तर पर कड़ा रुख अपनाया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों के बाद, सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रमुख कदम
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तैयार की गई इस योजना में सड़क की धूल को प्रदूषण का प्राथमिक कारण माना गया है। पश्चिमी यूपी के जिलों में प्रदूषण रोकने की जिम्मेदारी सात विभागों को सौंपी गई है, जिनसे कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है।
सात विभागों की जिम्मेदारी: इन विभागों में जिला प्रशासन और परिवहन विभाग शामिल हैं।
परिवहन पर सख्ती: गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) और गाजियाबाद जैसे जिलों में डीजल ऑटो रिक्शा के संचालन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
धूल नियंत्रण: सड़क पर धूल प्रदूषण को कम करने के लिए एंटी-स्मॉग गन और पानी के स्प्रिंकलर सिस्टम तैनात किए जाएंगे।
कूड़ा जलाने पर रोक: मुख्यमंत्री ने नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने का सख्त निर्देश दिया है कि कूड़ा न जलाया जाए।
लखनऊ PGI में हाईटेक स्वास्थ्य सुविधाएं
इसके अतिरिक्त, लखनऊ स्थित प्रतिष्ठित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS) में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने घोषणा की है कि संस्थान में हाईटेक उपचार के लिए एक नया केंद्र बनाया जाएगा।
चतुर्थिक देखभाल केंद्र: PGI को चिकित्सा के सर्वश्रेष्ठ चरण चतुर्थिक (Quaternary Care) केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जो अत्यंत गंभीर और जटिल मामलों का इलाज करता है।
बेड क्षमता में वृद्धि: क्रिटिकल केयर और इमरजेंसी वाले मरीजों के लिए बेड की क्षमता को दोगुना किया जाएगा।
यह कदम राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और प्रदूषण जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।














