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तुलसी जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चित्रकूट दौरा, कहा - विरासत और विकास दोनों को साथ लेकर बढ़ रही है राज्य सरकार

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Place: लखनऊ                                                👤By: prativad                                                                Views: 180

चित्रकूट, 3 अगस्त 2025। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुलसी जयंती के अवसर पर जनपद चित्रकूट के राजापुर में आयोजित तुलसी साहित्य समागम में भाग लिया। उन्होंने संत तुलसीदास जी की जन्मस्थली तुलसी जन्म कुटीर में दर्शन-पूजन किया और मानस मंदिर में रखी गोस्वामी तुलसीदास जी की हस्तलिखित श्रीरामचरितमानस की पाण्डुलिपि का अवलोकन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्रकूट की यह पावन भूमि न केवल संत तुलसीदास जी और ऋषि वाल्मीकि जी की साधना स्थली रही है, बल्कि यहाँ अनेक ऋषि-मुनियों और दिव्य संतों ने तपस्या की है। उन्होंने कहा, "चित्रकूट की विरासत हमें नई प्रेरणा देती है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार इस क्षेत्र में विरासत और विकास को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है।"

मुख्यमंत्री ने राजापुर में यमुना तट के सौंदर्यीकरण और रिवरफ्रंट निर्माण की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि राजापुर और लालापुर दोनों स्थानों पर विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक विकास कार्य किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने संत तुलसीदास जी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दरबारी कवि बनने की बजाय प्रभु श्रीराम के चरणों में जीवन अर्पित किया और रामभक्ति की चेतना को गांव-गांव तक पहुँचाया। उन्होंने गुलामी के कठिन दौर में भक्ति और शक्ति के अद्भुत संगम से जनचेतना को जागृत किया।

मुख्यमंत्री ने श्रीरामचरितमानस के वैश्विक प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि मॉरीशस जैसे देशों में भी यह ग्रंथ लोगों के जीवन का हिस्सा बना हुआ है और वहां भी रामलीला का मंचन होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें विरासत और विकास दोनों को साथ लेकर चलना होगा, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरणा ले सकें।"

उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज और पूज्य मुरारी बापू द्वारा श्रीराम कथा और तुलसी स्मृति के संरक्षण में किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

कार्यक्रम में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहर लाल 'मन्नू' कोरी, जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज, पूज्य मुरारी बापू समेत अनेक जनप्रतिनिधि, संतगण और शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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