
5 जुलाई 2025 — भारतीय रक्षा मंत्रालय ने देश की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 12 अरब डॉलर (लगभग ₹1 लाख करोड़) के रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी है। यह अधिग्रहण घरेलू रक्षा कंपनियों से किया जाएगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी गति मिलेगी।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) द्वारा स्वीकृत इस योजना के तहत भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार और उपकरण खरीदे जाएंगे। इनमें बख्तरबंद रिकवरी वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, और एकीकृत सूची प्रबंधन प्रणाली शामिल हैं।
मंत्रालय के अनुसार, यह अधिग्रहण भारतीय सशस्त्र बलों की गतिशीलता, वायु रक्षा क्षमता, रसद प्रबंधन और समग्र युद्ध तैयारी को बेहतर बनाएगा।
नौसेना को भी मिलेगी नई तकनीकी शक्ति
भारतीय नौसेना को माइन काउंटरमेजर वेसल, मूर्ड माइंस, सुपर रैपिड गन माउंट और सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल जैसे उन्नत उपकरणों की खरीद की अनुमति दी गई है। इससे नौसेना की समुद्री सुरक्षा क्षमता और खतरों से निपटने की दक्षता बढ़ेगी।
रूस के साथ रक्षा साझेदारी को भी मजबूती
भारत और रूस की रक्षा साझेदारी भी लगातार मजबूत हो रही है। हाल ही में भारत को रूस निर्मित क्रिवाक-क्लास फ्रिगेट INS तमाल सौंपा गया, जिसमें 26% भारतीय घटक शामिल हैं। इसे कलिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में तैयार किया गया था और भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में इसका निर्माण हुआ।
भारत और रूस की संयुक्त कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस का भी उल्लेखनीय योगदान है। मई में पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव के दौरान भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का प्रभावी इस्तेमाल किया था।
मार्च 2025 में भी हुए थे बड़े रक्षा सौदे
इससे पहले मार्च 2025 में DAC ने 6.26 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा उपकरणों की खरीद को भी मंजूरी दी थी। इनमें T-90 टैंकों के लिए उन्नत इंजन, नौसेना के लिए अतिरिक्त टॉरपीडो, और वायुसेना के लिए एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) शामिल थे।
भारत की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि वह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है, साथ ही रूस जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ भी तकनीकी सहयोग को और गहरा कर रहा है।