27 सितंबर 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को मंत्रालय में हुई 30वीं राज्य वन्यजीव बोर्ड बैठक में कहा कि मध्य प्रदेश की पहचान केवल बाघों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि राज्य के विविध वन्यजीव और अनूठी जैवविविधता को भी दुनिया के सामने लाना होगा। उन्होंने कहा, “हमारे जंगल केवल पर्यावरण का संतुलन नहीं साधते, बल्कि पर्यटन, शोध और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी अवसर पैदा करते हैं। इसलिए इनके संरक्षण और ब्रांडिंग पर हमें मिलकर काम करना होगा।”
दूसरे राज्यों से आएंगे नए वन्यजीव
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा को एक बाघ और नौ बाघिनें देगा। इसके बदले वहां से अन्य जंगली जानवर लाए जाएंगे। उन्होंने निर्देश दिया कि असम से एक सींग वाले गैंडे को लाने के लिए ठोस पहल हो। साथ ही मगरमच्छ, कछुए, घड़ियाल और डॉल्फिन जैसे जलीय जीवों को राज्य की नदियों में बसाने की योजना बनाई जाए।
वन्यजीव संरक्षण पर मुख्यमंत्री का विज़न
सीएम मोहन यादव ने बैठक में कहा कि—
वन्यजीवों का वैज्ञानिक संरक्षण: आधुनिक तकनीक, एआई और रिसर्च आधारित पॉलिसी से जंगलों और प्रजातियों का दीर्घकालिक संरक्षण करना होगा।
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकना: हाथियों और बाघों से जुड़ी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर निगरानी तंत्र और गांवों में समय पर अलर्ट सिस्टम जरूरी है।
सस्टेनेबल इको-टूरिज़्म: अभयारण्यों और नेशनल पार्कों में पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर खोलने होंगे।
ग्लोबल लेवल पर ब्रांडिंग: डिस्कवरी और अन्य इंटरनेशनल चैनलों के सहयोग से शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और प्रमोशनल वीडियो बनाकर मध्य प्रदेश के वन्यजीवों को विश्व स्तर पर प्रमोट करना होगा।
शोध और शिक्षा: राज्य के विश्वविद्यालयों और रिसर्च संस्थानों के साथ मिलकर वाइल्डलाइफ़ स्टडी को बढ़ावा देना चाहिए ताकि नई पीढ़ी संरक्षण की जिम्मेदारी समझे।
“गज रक्षक ऐप” और डिजिटल मॉनिटरिंग
मुख्यमंत्री ने हाथियों से जुड़ी घटनाओं को रोकने के लिए तैयार किए गए एआई-आधारित “गज रक्षक ऐप” की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की डिजिटल तकनीकें वन्यजीवों की निगरानी और संरक्षण में अहम साबित होंगी।
नए संरक्षण क्षेत्र और पुनर्गठन
सरदारपुर का खर्मोर अभयारण्य और जहांगीरगढ़ अभयारण्य पुनर्गठित किए गए हैं। वहीं, पन्ना और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आसपास नया संरक्षण क्षेत्र बनाने और बालाघाट जिले की सोनेवानी रेंज को कान्हा और बांधवगढ़ रिजर्व से जोड़ने की संभावना जताई गई।
कई प्रोजेक्ट को मंजूरी
बैठक में सीएम ने सतपुड़ा-मेलघाट कॉरिडोर की 17.148 हेक्टेयर वन भूमि एनएचएआई को देने और वाकणकर टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन की 1.575 हेक्टेयर भूमि पीडब्ल्यूडी रीवा को देने की मंजूरी दी।
हालांकि, सीधी जिले के सोन अभयारण्य में निजी भूमि पर प्रस्तावित इकोलॉजिकल पार्क फिलहाल टाल दिया गया।














