
7 अक्टूबर 2025। सोशल मीडिया के ज़रिए बने रिश्ते अब नाबालिग लड़कियों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। भोपाल के गौरवी वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर में इस साल अब तक करीब 300 नाबालिग लड़कियों के ऐसे मामले सामने आए हैं, जिन्होंने अपने प्रेमी से मिलने या उसके साथ भाग जाने के लिए घर छोड़ा। इनमें लगभग 50 मामले ऐसे हैं, जहाँ लड़कियों ने अपने सोशल मीडिया ‘फ्रेंड’ से शादी तक कर ली।
इंस्टाग्राम-स्नैपचैट बने जोखिम भरे प्लेटफॉर्म
केंद्र की समन्वयक सौम्या सक्सेना के अनुसार, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म इन घटनाओं के पीछे बड़ा कारण बनकर उभरे हैं।
उन्होंने बताया, “इन ऐप्स पर कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान छिपा सकता है। शादीशुदा पुरुष खुद को अविवाहित बताता है, अधेड़ उम्र का व्यक्ति अपनी तस्वीरों से खुद को युवा दिखा सकता है, और कई बार लड़कियों को ब्लैकमेल भी किया जाता है।”
कई किशोरियाँ बनीं गर्भवती, सभी मामलों में POCSO लागू
कई मामलों में नाबालिग लड़कियाँ अपने ‘बॉयफ्रेंड’ के साथ अंतरंग संबंध बना चुकी थीं, जिनमें कुछ गर्भवती भी हुईं। सभी मामलों में आरोपियों पर POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है — यह कानून कहता है कि नाबालिग की सहमति से भी शारीरिक संबंध बनाना अपराध है।
कानूनन, नाबालिगों के बीच हुआ विवाह भी अमान्य माना जाता है।
माता-पिता सामाजिक कलंक से डरते हैं, कई गर्भपात के मामले भी
इनमें से अधिकतर मामलों में, परिवार पहले गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। बाद में जब पुलिस लड़कियों को ढूंढकर गौरवी केंद्र लाती है, तो वहाँ उनकी काउंसलिंग, मेडिकल जांच और कानूनी सहायता दी जाती है।
हालांकि कई बार माता-पिता सामाजिक बदनामी के डर से एफआईआर दर्ज नहीं करवाते और गर्भपात का रास्ता चुन लेते हैं।
डिजिटल प्यार का अंधेरा पक्ष
विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल मीडिया ने लंबी दूरी के रिश्ते और डिजिटल ‘इमोशनल अटैचमेंट’ को आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ धोखाधड़ी, गलत पहचान, और यौन शोषण जैसी समस्याएँ भी तेजी से बढ़ रही हैं।
सक्सेना कहती हैं, “हमारा काम सिर्फ कानूनी मदद देना नहीं, बल्कि इन किशोरियों को भावनात्मक रूप से भी संभालना है ताकि वे दोबारा ऐसे जाल में न फँसें।”
सोशल मीडिया के युग में ‘डिजिटल प्यार’ कई बार खतरनाक साबित हो रहा है। भोपाल में सामने आए सैकड़ों मामलों ने यह साफ कर दिया है कि आभासी रिश्तों की दुनिया में जागरूकता, संवाद और सतर्कता पहले से कहीं अधिक ज़रूरी हो गई है।