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रूसी हिरासत में मारी गई यूक्रेनी पत्रकार विक्टोरिया रोशचिना: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर सच्चाई की कीमत पर सवाल

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 231

3 मई को पूरी दुनिया में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है — एक दिन जब हम पत्रकारिता की आज़ादी, अभिव्यक्ति के अधिकार और उन पत्रकारों को याद करते हैं जो सच्चाई के लिए अपनी जान तक गंवा देते हैं। इसी कड़ी में यूक्रेनी पत्रकार विक्टोरिया रोशचिना की दर्दनाक मौत एक भयावह उदाहरण बनकर सामने आई है।

27 वर्षीय रोशचिना को अगस्त 2023 में रूस-नियंत्रित यूक्रेन के ज़ापोरिज़्झिया क्षेत्र में रिपोर्टिंग के दौरान हिरासत में लिया गया था। उन्हें टैगानरोग शहर की berüchtigte SIZO-2 जेल में रखा गया, जहाँ कथित रूप से उन्हें यातनाएं दी गईं।

फरवरी 2025 में, रूस ने यूक्रेन को उनका शव सौंपा। शव पर अमानवीय अत्याचारों के संकेत मिले: उनकी आँखें, मस्तिष्क और गला हटा दिए गए थे, जिससे मौत का कारण जान पाना मुश्किल हो गया। फोरेंसिक जांच में गला घोंटने, जलने और पसलियों के टूटने के निशान मिले।

यूक्रेनी सरकार ने इसे एक सुनियोजित युद्ध अपराध करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से न्याय की माँग की है। OSCE, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए स्वतंत्र जांच की माँग की है।

विक्टोरिया रोशचिना, जो पहले भी रूसी हिरासत में रह चुकी थीं, हमेशा युद्ध क्षेत्रों से निष्पक्ष और साहसी रिपोर्टिंग के लिए जानी जाती थीं। उनकी यह अंतिम रिपोर्टिंग जानलेवा साबित हुई।

इस विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर, दुनिया भर के पत्रकार रोशचिना को श्रद्धांजलि देते हैं और इस बात पर पुनः विचार करते हैं कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा के लिए कितना कुछ दांव पर लगाना पड़ता है। सच्चाई की राह में उनका बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा।

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