
6 जून 2025। प्रतिवाद डेस्क।
ब्रिटेन में सामाजिक और जनसांख्यिकीय परिदृश्य अगले कुछ दशकों में पूरी तरह बदल सकता है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार, यदि प्रवास और जन्म दर की मौजूदा प्रवृत्तियाँ बनी रहती हैं, तो 2063 तक गोरे ब्रिटिश नागरिक अपने ही देश में अल्पसंख्यक बन सकते हैं।
बकिंघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैट गुडविन द्वारा किए गए विश्लेषण में दावा किया गया है कि ब्रिटेन की कुल आबादी में श्वेत ब्रिटिश नागरिकों की हिस्सेदारी 2050 तक मौजूदा 73% से घटकर लगभग 57% रह जाएगी। और 2063 आते-आते वे पूर्ण रूप से अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ सकते हैं। सदी के अंत तक, यह आंकड़ा गिरकर केवल 33% तक पहुँच सकता है।
◼ प्रवासन और जनसंख्या संरचना में बदलाव
इस बदलाव की बड़ी वजहों में एक है ब्रिटेन में पिछले वर्षों में हुए बड़े पैमाने पर कानूनी और अवैध प्रवास। वर्ष 2023 में ही लगभग 9 लाख से अधिक नए प्रवासी ब्रिटेन आए। 2022 की जनगणना से पता चला कि लंदन और बर्मिंघम जैसे बड़े शहर अब श्वेत-बहुल नहीं रहे।
गुडविन का अध्ययन यह भी दर्शाता है कि 2100 तक ब्रिटेन की 60% से अधिक आबादी या तो विदेश में जन्मी होगी या उनके माता-पिता में से कम से कम एक प्रवासी होगा। वहीं देश में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी मौजूदा 7% से बढ़कर 19.2% हो सकती है।
? चिंताएं और चेतावनी
प्रोफेसर गुडविन ने कहा कि यह अध्ययन केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रिटेन की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक मूल्यों और साझा जीवनशैली पर पड़ने वाले असर को भी रेखांकित करता है। उन्होंने चेताया कि यदि इन बदलावों से उत्पन्न चिंताओं को समय रहते स्वीकार और संबोधित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में देश को गंभीर राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक ध्रुवीकरण का सामना करना पड़ सकता है।
यह अध्ययन ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय और जनगणना से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें प्रवास, जन्म दर और धार्मिक विविधता को ध्यान में रखा गया है।