18 दिसंबर 2025। अमेरिका ने ताइवान को 11.1 बिलियन डॉलर से अधिक के हथियार बेचने की मंज़ूरी दे दी है। यह अब तक ताइवान के लिए अमेरिका का सबसे बड़ा हथियार पैकेज माना जा रहा है। इससे पहले नवंबर में अमेरिका ने ताइवान को एयरक्राफ्ट के स्पेयर और रिपेयर पार्ट्स के लिए 330 मिलियन डॉलर की डील को मंज़ूरी दी थी।
अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक, इस पैकेज में कुल आठ अलग-अलग खरीद समझौते शामिल हैं। इनमें 82 HIMARS रॉकेट सिस्टम और 420 ATACMS मिसाइलें शामिल हैं, जिनकी कीमत 4 बिलियन डॉलर से अधिक बताई गई है। इसके अलावा एंटी-टैंक और एंटी-आर्मर मिसाइलें, लोइटरिंग सुसाइड ड्रोन, हॉवित्जर, मिलिट्री सॉफ्टवेयर और अन्य सैन्य उपकरणों के पार्ट्स भी इस डील का हिस्सा हैं।
इस हथियार सौदे पर चीन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, बीजिंग पहले भी ताइवान के साथ अमेरिका के सैन्य सहयोग की कड़ी आलोचना करता रहा है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे एक अलग, आत्मशासित द्वीप के रूप में स्वीकार नहीं करता।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस खरीद से द्वीप की आत्मरक्षा क्षमता को मजबूती मिलेगी। मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिका ताइवान को एक मजबूत डिटरेंट पावर बनाने और असममित युद्ध क्षमता (Asymmetric Warfare Capability) विकसित करने में मदद कर रहा है, जिसे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए जरूरी बताया गया है।
रक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह हथियार पैकेज फिलहाल अमेरिकी कांग्रेस को नोटिफिकेशन के चरण में है। इस दौरान अमेरिकी सांसद चाहें तो इस बिक्री को रोक सकते हैं या इसमें बदलाव कर सकते हैं।
पेंटागन ने अलग-अलग बयानों में कहा है कि प्रस्तावित हथियार बिक्री ताइवान की सेना को आधुनिक बनाने में मदद करेगी और अमेरिका के राष्ट्रीय, आर्थिक और सुरक्षा हितों को भी आगे बढ़ाएगी।
हाल के वर्षों में अमेरिका के दबाव और समर्थन के बीच ताइवान ने अपनी सैन्य खरीद में इजाफा किया है। यह घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में लौटने के बाद ताइवान के लिए की गई दूसरी बड़ी हथियार बिक्री है।
आधिकारिक तौर पर अमेरिका ‘वन-चाइना पॉलिसी’ का समर्थन करता है, जिसके तहत ताइवान को चीन का हिस्सा माना जाता है। हालांकि, वॉशिंगटन ताइपे के साथ संपर्क बनाए रखता है, उसे हथियार सप्लाई करता है और किसी संभावित संघर्ष की स्थिति में ताइवान की रक्षा में मदद का संकेत भी देता रहा है।
चीन का कहना है कि वह ताइवान के साथ शांतिपूर्ण पुनर्एकीकरण चाहता है, लेकिन उसने चेतावनी दी है कि अगर ताइवान ने आधिकारिक तौर पर स्वतंत्रता की घोषणा की, तो बीजिंग बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा।














