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इज़रायल ने तैनात की अपनी गेम-चेंजर लेज़र रक्षा प्रणाली

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 149

9 नवंबर 2025। इज़रायल ने तैनात किया लेज़र रक्षा प्रणाली 'ओरान' ('आयरन बीम'); युद्ध के अर्थशास्त्र में आया क्रांतिकारी बदलाव

यरूशलेम, TBN इज़रायल:
इज़रायली रक्षा बल (IDF) ने एक नई युग की शुरुआत करते हुए अपनी उन्नत लेज़र वायु रक्षा प्रणाली 'ओरान' (OAN) को सफलतापूर्वक तैनात कर दिया है। इसे इसके व्यावसायिक नाम 'आयरन बीम' के नाम से भी जाना जाता है, जिसे राफेल और एलबिट कंपनियों ने मिलकर विकसित किया है। यह प्रणाली दुनिया की पहली परिचालन लेज़र इंटरसेप्शन प्रणाली बताई जा रही है, जो रॉकेट, मोर्टार और मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) को हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखती है।

लागत में भारी कमी
इस नई लेज़र प्रणाली की सबसे बड़ी खासियत इसकी अत्यंत कम लागत है, जिसने हवाई सुरक्षा के पूरे समीकरण को बदल दिया है। जहाँ आयरन डोम की एक इंटरसेप्टर मिसाइल की कीमत हजारों डॉलर होती है, वहीं 'ओरान' का एक शॉट मात्र कुछ शेकेल (एक डॉलर से भी कम) का पड़ता है। इस तकनीक से आतंकवादी संगठनों द्वारा दागे गए सस्ते हथियारों के खिलाफ इज़रायल को आर्थिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

युद्ध में सफल परिचालन
इज़रायली रक्षा मंत्रालय और राफेल के अनुसार, 'स्वॉर्ड्स ऑफ आयरन' युद्ध के दौरान कम शक्ति वाली (10-30 किलोवाट) लेज़र प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें दर्जनों यूएवी को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस युद्ध ने प्रणाली के विकास और एकीकरण की प्रक्रिया को कई साल आगे बढ़ा दिया।

आयरन डोम की पूरक भूमिका
हालांकि, यह लेज़र प्रणाली फिलहाल आयरन डोम का स्थान नहीं लेगी, बल्कि यह उसकी पूरक रक्षा परत के रूप में काम करेगी। इसकी मौजूदा परिचालन सीमा लगभग 10 किलोमीटर है। विशेषज्ञों का मानना है कि खराब मौसम, जैसे कि बादल या कोहरे में इसकी क्षमता प्रभावित होती है, और यह एक समय में केवल एक ही लक्ष्य को निशाना बना सकती है।

भविष्य की योजनाएँ
रक्षा मंत्रालय ने राफेल और एलबिट के साथ लगभग 2 बिलियन शेकेल का एक बड़ा समझौता किया है। योजना के अनुसार, अधिक शक्तिशाली 100 किलोवाट की 'आयरन बीम' प्रणाली इस साल के अंत तक IDF को सौंपी जाएगी, और इसका पूर्ण परिचालन 2026 में शुरू होने की उम्मीद है। इज़रायल की यह तकनीकी सफलता भविष्य के युद्धों की प्रकृति को बदल सकती है और रक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है।

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