4 नवंबर 2025। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण की मांग करते हुए एक बार फिर परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की बात दोहराई है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका का परमाणु शस्त्रागार इतना विशाल है कि “दुनिया को 150 बार उड़ाया जा सकता है।”
सीबीएस को दिए एक साक्षात्कार में ट्रंप से पूछा गया कि तीन दशक से ज्यादा समय बाद अमेरिका को फिर से परमाणु परीक्षण की क्या जरूरत है। उन्होंने जवाब दिया, “क्योंकि आपको देखना होता है कि ये हथियार काम कैसे करते हैं। बाकी देश परीक्षण कर रहे हैं, तो हम क्यों नहीं? मैं अकेला ऐसा देश नहीं बनना चाहता जो परीक्षण नहीं करता।”
अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में पूर्ण पैमाने पर परमाणु परीक्षण किया था। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, परीक्षण दोबारा शुरू करने में कई साल लग सकते हैं और अरबों डॉलर खर्च होंगे।
ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने हालांकि स्पष्ट किया कि ट्रंप के आदेशित परीक्षणों में “वास्तविक परमाणु विस्फोट” शामिल नहीं होंगे। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ को बताया, “ये गैर-विस्फोटक परीक्षण हैं, जो हमारे आधुनिकीकरण कार्यक्रम का हिस्सा हैं। इसलिए किसी ‘मशरूम क्लाउड’ जैसी चिंता की बात नहीं है।”
ट्रंप का दावा है कि रूस और चीन गुप्त रूप से परीक्षण कर रहे हैं, हालांकि दोनों देशों ने दशकों से कोई पुष्टि किया हुआ परीक्षण नहीं किया है — रूस ने आखिरी बार 1990 में और चीन ने 1996 में।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि हाल में रूस द्वारा किए गए मिसाइल और अंडरवाटर ड्रोन परीक्षणों में परमाणु विस्फोट नहीं हुए। वहीं, चीन ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty (CTBT) के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करे और वैश्विक परीक्षण-प्रतिबंध बनाए रखे।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रंप के विचार का समर्थन किया है। उनका तर्क है कि अमेरिका के पुराने परमाणु हथियारों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए गैर-विस्फोटक परीक्षण जरूरी हैं।
ट्रंप ने अंत में कहा, “हमारे पास किसी भी देश से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। लेकिन अब समय है कि हम परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कुछ ठोस करें।”














