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चीन का ‘ड्रैगन डोम’: मिसाइल डिफेंस में चुपचाप क्रांति की ओर

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 171

बीजिंग ने वो कर दिखाया, जिसका सपना वॉशिंगटन अब तक देख रहा है

बीजिंग 12 नवंबर 2025। अमेरिका जहां अपने महंगे ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस प्रोजेक्ट को कागजों से बाहर लाने की कोशिश में है, वहीं चीन ने चुपचाप इस दिशा में एक बड़ी छलांग लगा दी है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने एक ऐसा वैश्विक मिसाइल डिफेंस नेटवर्क विकसित कर लिया है जो वास्तविक समय में दुनियाभर से दागी गई मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है।

क्या है ‘ड्रैगन डोम’?
सूत्रों के मुताबिक, चीन का नया सिस्टम एक “डिस्ट्रिब्यूटेड अर्ली वॉर्निंग डिटेक्शन प्लेटफॉर्म” है, जो एक साथ 1,000 से अधिक मिसाइल लॉन्च की निगरानी कर सकता है। इसमें भूमि, समुद्र, वायु और अंतरिक्ष—चारों स्रोतों से सेंसर और सैटेलाइट डेटा को जोड़कर एकीकृत कमांड नेटवर्क बनाया गया है।

दिलचस्प यह है कि चीन ने पुराने सैन्य उपकरणों और उपग्रहों को भी इस नेटवर्क से जोड़कर लागत को कम और विश्वसनीयता को बढ़ाया है। इसके विपरीत, अमेरिका का गोल्डन डोम प्रोजेक्ट अभी डिज़ाइन और परीक्षण के चरण में है।

रणनीतिक बढ़त और वैश्विक प्रभाव
विश्लेषकों के अनुसार, यह प्रणाली चीन को न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक रणनीतिक सुरक्षा कवच प्रदान कर सकती है। इसका मकसद है किसी भी संभावित परमाणु या हाइपरसोनिक हमले से पहले ही खतरे को पहचानना और जवाब देने की क्षमता बढ़ाना।

अमेरिका द्वारा प्रस्तावित गोल्डन डोम को चीन पहले ही “स्पेस के सैन्यीकरण” की दिशा में कदम बता चुका है। बीजिंग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह “वैश्विक असंतुलन” को बढ़ा सकता है।

अब भी कई सवाल बाकी
रिपोर्टों के मुताबिक, चीन का यह सिस्टम फिलहाल प्रोटोटाइप स्टेज में है। इसके इंटरसेप्शन यानी मिसाइल को नष्ट करने की वास्तविक क्षमता पर अभी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रैकिंग तकनीक के बावजूद मिसाइल को सटीकता से नष्ट करना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है।

फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि चीन का यह नेटवर्क पूरी तरह कब तक सक्रिय होगा, लेकिन यदि इसकी क्षमताएं वास्तविक हैं, तो यह वैश्विक मिसाइल संतुलन को बदल सकता है।

एशिया और भारत के लिए असर
क्षेत्रीय स्तर पर यह विकास भारत और एशिया-प्रशांत देशों के लिए नई रणनीतिक चुनौतियां खड़ी कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में क्षेत्रीय रक्षा नीतियों और अंतरिक्ष निगरानी सहयोग को फिर से परिभाषित करना पड़ सकता है।

अमेरिका जहां अपने “सपनों के डोम” को साकार करने में जुटा है, वहीं चीन ने उसे जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। अगर बीजिंग का दावा सही साबित होता है, तो यह आधुनिक युद्ध रणनीति के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ हो सकता है।

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