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X पर 120 मिलियन यूरो का जुर्माना; अमेरिका ने EU पर लगाया “अमेरिकियों पर हमला” करने का आरोप

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 105

ब्रसेल्स / वॉशिंगटन 6 दिसंबर 2025। यूरोपीय यूनियन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर डिजिटल सर्विसेज़ एक्ट (DSA) के उल्लंघन के लिए 120 मिलियन यूरो (12,54,75,60,000 रू) का भारी जुर्माना लगाया है। फैसले के तुरंत बाद अमेरिका ने EU पर खुले तौर पर हमला बोला, यह दावा करते हुए कि यह कार्रवाई सिर्फ X के खिलाफ नहीं, बल्कि “अमेरिकी लोगों पर हमला” है।

यूरोपियन कमीशन ने कहा कि यह पहली बार है जब DSA के तहत किसी कंपनी को औपचारिक रूप से नॉन-कम्प्लायंस का दोषी ठहराया गया है। यह कदम ऐसे समय आया है जब EU, अमेरिकी टेक दिग्गजों पर एक के बाद एक कड़े एक्शन ले रहा है।

EU की शिकायतें: ब्लू टिक से लेकर डेटा एक्सेस तक कई गड़बड़ियां

कमीशन के अनुसार X कई मोर्चों पर नियम तोड़ रहा था:

ब्लू चेकमार्क सिस्टम का ऐसा डिजाइन, जो उपयोगकर्ताओं को स्कैम के खतरे में डालता है

एड लाइब्रेरी में पारदर्शिता की कमी

रिसर्चर्स को सार्वजनिक डेटा की अनिवार्य एक्सेस न देना

इन सभी आधारों पर X को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ा।

अमेरिका ने EU पर बरसी नाराजगी

US सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रुबियो ने इसे सिर्फ X पर हमला नहीं, बल्कि “अमेरिकी टेक प्लेटफॉर्म और अमेरिकी नागरिकों पर हमला” बताया।
उन्होंने कहा कि “अमेरिकियों को ऑनलाइन चुप कराने के दिन अब खत्म हो गए हैं।”

X के मालिक एलन मस्क ने भी अमेरिकी अधिकारियों की टिप्पणियों को साझा करते हुए EU के फैसले पर सवाल उठाए।
US टेलीकम्युनिकेशन रेगुलेटर ब्रेंडन कैर के अनुसार, EU X को इसलिए निशाना बना रहा है क्योंकि यह एक “सफल अमेरिकी कंपनी” है।

US वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस ने भी EU पर “सेंसरशिप स्वीकार न करने की सजा देने” का आरोप लगाया।

पुराना विवाद: डिजिटल टैक्स से लेकर रेगुलेशन तक तनाव

अमेरिका और यूरोप के बीच यह सिर्फ एक नए विवाद की कड़ी नहीं है।

US लंबे समय से EU के डिजिटल कानूनों और टैक्स नीतियों को अमेरिकी टेक को नुकसान पहुंचाने की कोशिश बताता रहा है।

वहीं ब्रसेल्स का कहना है कि उसके कानून सभी कंपनियों पर बराबरी से लागू होते हैं और उसका ध्यान प्राइवेसी, प्रतियोगिता और ऑनलाइन सुरक्षा पर है।

ट्रेड विवाद, औद्योगिक सब्सिडी और पर्यावरण मानकों को लेकर भी दोनों के बीच टकराव जारी है। अमेरिका EU को अक्सर “प्रोटेक्शनिस्ट” बताता है, जबकि यूरोप, वाशिंगटन की एकतरफा टैरिफ नीतियों पर सवाल उठाता है।

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