
28 जून 2025। भारत और रूस ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति सहित रक्षा सहयोग के महत्वपूर्ण मुद्दों पर उच्चस्तरीय चर्चा की है। यह संवाद चीन के क़िंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष एंड्री बेलौसोव के बीच हुआ।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक दोनों देशों के बीच हाल की सबसे अहम रणनीतिक बातचीतों में से एक थी, जो "ऑपरेशन सिंदूर" की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई। इस ऑपरेशन के तहत 7 मई को भारत ने पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्र में आतंकी ठिकानों पर लक्षित कार्रवाई की थी, जो जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोधस्वरूप की गई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
एस-400 मिसाइल सिस्टम ने इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को संभावित जवाबी हमलों से सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा था, “एस-400 जैसे प्लेटफॉर्म ने भारत को अभूतपूर्व ताकत दी है। अब एक मजबूत सुरक्षा कवच भारत की पहचान बन चुका है।”
भारत ने वर्ष 2018 में रूस से पाँच एस-400 सिस्टम की खरीद के लिए 5.43 अरब डॉलर का समझौता किया था, जिसमें से तीन प्रणालियाँ भारतीय सेना को प्राप्त हो चुकी हैं और शेष दो की आपूर्ति 2026 तक अपेक्षित है।
बैठक में एस-400 आपूर्ति के अलावा, भारतीय वायुसेना के 84 Su-30MKI लड़ाकू विमानों के रूसी सहयोग से अपग्रेड और अन्य सैन्य हार्डवेयर की समयबद्ध खरीद पर भी विचार-विमर्श हुआ। वर्तमान में भारत के पास 259 Su-30MKI विमानों का बेड़ा है।
रूसी रक्षा मंत्री बेलौसोव ने भारत-रूस रक्षा साझेदारी को "दीर्घकालिक और रणनीतिक" बताते हुए कहा कि मॉस्को नई दिल्ली के साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग को और भी मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत के रक्षा शस्त्रागार में लगभग 60% हिस्सा रूसी उपकरणों का है, जो दोनों देशों के बीच दशकों पुराने विश्वास और सहयोग की पुष्टि करता है।
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