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₹500 करोड़ की अंतरिक्ष उड़ान: निजी मिशन के ज़रिए राष्ट्रीय मिशन की तैयारी

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 444

30 जून 2025। भारत ने 41 साल बाद एक बार फिर मानव अंतरिक्ष उड़ान में इतिहास रच दिया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी अक्सिऑम स्पेस और स्पेसएक्स के संयुक्त निजी मिशन Axiom-4 के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा गया। यह भारत की पहली निजी अंतरिक्ष यात्रा है, जिसकी कुल लागत ₹500 करोड़ (करीब $59 मिलियन) बताई गई है।

🚀 अंतरिक्ष में भारत की वापसी
1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद, शुक्ला अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बन गए हैं।

मिशन का प्रक्षेपण 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से हुआ और 26 जून को क्रू ड्रैगन कैप्सूल “Grace” ने सफलतापूर्वक ISS से डॉकिंग की।

🛰 निजी मिशन, लेकिन राष्ट्रीय महत्व
अक्सिऑम-4 पूरी तरह से एक प्राइवेट एस्ट्रोनॉट मिशन है, जो NASA के सहयोग से SpaceX द्वारा संचालित किया गया। इस मिशन में भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं। यह तीनों देशों के लिए किराए पर खरीदी गई सीटों के माध्यम से अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक है।

भारत: ₹500 करोड़ (~$59M)

अन्य देश: रिपोर्ट्स के मुताबिक एक सीट की कीमत $65 मिलियन तक बताई गई।

🧬 वैज्ञानिक उद्देश्य और गगनयान की तैयारी
यह मिशन केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि नहीं है—बल्कि इसका उद्देश्य गगनयान 2027 मिशन की तैयारी को मजबूत करना भी है। अंतरिक्ष में शुक्ला द्वारा किए जा रहे प्रयोगों में शामिल हैं:
मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव
सूक्ष्म शैवाल (microalgae) पर विकिरण का असर
बीज अंकुरण और मांसपेशियों की गति पर अध्ययन

🇮🇳 ISRO की रणनीति: अनुभव के लिए निवेश
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यह कदम अपनी दीर्घकालिक रणनीति के तहत उठाया है। सीधे गगनयान मिशन से पहले यह एक व्यावहारिक प्रशिक्षण है जो अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा और संचालन टीमों को तैयार करेगा।

"यह ₹500 करोड़ का निवेश भविष्य में आत्मनिर्भर मानव मिशनों के लिए अनुभव की नींव रखेगा," - ISRO अधिकारी

📜 यह मिशन अंतरिक्ष में भारत की गौरवपूर्ण वापसी का प्रतीक है।
निजी मिशनों में भागीदारी करते हुए भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
यह मिशन भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की तैयारी, तकनीकी साझेदारी और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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