
11 अक्टूबर 2025। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजारों को हिला दिया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन पर नए 100% आयात शुल्क लगाने के बयान के बाद एक ही दिन में दुनिया भर के शेयर बाजारों से करीब 1.5 ट्रिलियन डॉलर की पूंजी उड़ गई।
ट्रंप ने चीन पर “आर्थिक छल” और “अमेरिकी नौकरियों की चोरी” का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार सत्ता में आते ही चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर भारी शुल्क लगाएगी। जवाब में चीन ने भी रेयर अर्थ मटेरियल्स और लिथियम-आयन बैटरी कंपोनेंट्स के निर्यात पर और सख्ती करने की घोषणा की। ये वही कच्चे पदार्थ हैं जिन पर तकनीकी, रक्षा और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग निर्भर हैं।
वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट
इस टकराव का असर तुरंत देखने को मिला।
अमेरिकी S&P 500 इंडेक्स करीब 2.7% और Nasdaq 3.6% लुढ़क गया।
फिलाडेल्फिया सेमीकंडक्टर इंडेक्स में 6.3% की गिरावट दर्ज की गई।
यूरोप और एशिया के बाजारों में भी निवेशकों ने पूंजी निकालनी शुरू कर दी।
निवेशकों में डर है कि यह नया व्यापारिक युद्ध फिर से महंगाई, सप्लाई चेन संकट और आर्थिक मंदी को जन्म दे सकता है।
विश्लेषक बोले – “यह सिर्फ बाजार की प्रतिक्रिया नहीं, विश्वास का संकट भी”
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, यह गिरावट केवल शेयर मूल्यों की नहीं, बल्कि नीतिगत भरोसे की भी गिरावट है।
“जब ट्रंप चीन पर सीधे वार करते हैं, बाजार इसे नीति परिवर्तन का संकेत मानते हैं, और यही घबराहट फैलाता है,”
एक अमेरिकी निवेश फर्म के विश्लेषक ने कहा।
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें चीन की अगली चाल पर हैं। अगर बीजिंग ने निर्यात पर और नियंत्रण लगाया, तो दुनिया भर के चिप, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका के उद्योग जगत से भी ट्रंप पर दबाव बढ़ रहा है कि वे चुनावी बयानबाज़ी को आर्थिक नीतियों से अलग रखें।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दोनों देशों ने समझदारी नहीं दिखाई, तो यह टकराव 2020 के कोविड संकट के बाद का सबसे बड़ा वैश्विक आर्थिक झटका बन सकता है।