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इटली में बुर्का बैन की तैयारी, उल्लंघन पर €3,000 जुर्माने का प्रस्ताव

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 200

10 अक्टूबर 2025। इटली सरकार जल्द ही सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और पूरे चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, इस प्रस्ताव का उल्लंघन करने वालों पर €3,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

सत्तारूढ़ पार्टी का प्रस्ताव
बुधवार को सत्तारूढ़ पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली (Brothers of Italy) ने बयान जारी करते हुए कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर वह सभी मुस्लिम परिधान प्रतिबंधित किए जाएं जो चेहरे की पहचान में बाधा डालते हैं। पार्टी का कहना है कि यह कदम “इतालवी पहचान, नागरिक सुरक्षा और महिलाओं की स्वतंत्रता की रक्षा” के लिए जरूरी है।

धार्मिक स्वतंत्रता पर नहीं होगा असर
पार्टी का तर्क है कि यह प्रस्ताव धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाता, बल्कि संविधान और सामाजिक मानदंडों के उलट परंपराओं का समर्थन करने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग को रोकता है। सांसद गैलेज़ो बिग्नामी ने कहा कि यह प्रस्ताव अतिवादी गतिविधियों और अपारदर्शी विदेशी वित्तपोषण पर रोक लगाने के ठोस कदम पेश करता है, जो सामाजिक समरसता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

प्रस्ताव की मुख्य बातें
पूरे चेहरे को ढकने वाले नकाब पर सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों, कार्यालयों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पूरी तरह से प्रतिबंध।
धार्मिक स्थलों के लिए सख्त वित्तीय पारदर्शिता नियम, ताकि विदेशी फंडिंग का पता लगाया जा सके।
जबरन शादी और तथाकथित कौमार्य परीक्षण पर कठोर दंड के प्रावधान।

यूरोप में पहले से लागू उदाहरण
इटली में 1975 से ही एक कानून मौजूद है जो सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को पूरी तरह ढकने वाले परिधानों पर रोक लगाता है, हालांकि यह धार्मिक परिधान से अधिक हेलमेट या मास्क जैसी चीजों पर केंद्रित था। फ्रांस ने 2011 में नकाब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए इस दिशा में पहला कदम उठाया था। बाद में बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने भी ऐसे ही कानून लागू किए।

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इस प्रकार के प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित कर सकते हैं और महिलाओं की सार्वजनिक जीवन में भागीदारी को बाधित कर उन्हें और हाशिए पर धकेल सकते हैं।

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