
31 अगस्त 2025। भोपाल पुलिस का ऐसा कारनामा सामने आया है, जिस पर आम लोग तो क्या, खुद पुलिसकर्मी भी हैरान हैं। मामला नए लॉन्च किए गए डायल-112 वाहनों की चाबियों का है, जिन्हें पुलिस ने खुद ही कहीं गुम कर दिया और बाद में डुप्लीकेट बनवाने पर करीब 78 हज़ार रुपए खर्च कर दिए। और मज़े की बात तो यह है कि जब डुप्लीकेट बनकर तैयार हो गए, तभी अचानक असली चाबियाँ भी मिल गईं!
दरअसल, 14 अगस्त को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धूमधाम से 63 नए फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल (FRV) को हरी झंडी दिखाई थी। योजना थी कि ये गाड़ियाँ 31 अगस्त से शहर की सड़कों पर दौड़ेंगी। लेकिन ट्रायल रन से पहले ही पुलिस को पता चला कि इनमें से 39 वाहनों की चाबियाँ रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई हैं।
पुलिस ड्राइवरों और कर्मचारियों ने जी-जान से खोजबीन की, लेकिन चाबियों का कोई अता-पता नहीं चला। आनन-फानन में वरिष्ठ अधिकारियों ने आदेश दिया कि डुप्लीकेट चाबियाँ तुरंत तैयार करवाई जाएं। एक-एक चाबी बनाने में करीब 2000 रुपये खर्च हुए और कुल बिल पहुँच गया सीधा 78 हज़ार पर।
लेकिन जैसे ही डुप्लीकेट चाबियाँ बनकर आ गईं, उसी समय अचानक असली चाबियाँ भी निकल आईं। अब सवाल ये उठ रहा है कि ये चाबियाँ गुम हुई थीं या अंदर ही किसी ने गड़बड़झाला किया था। एक अधिकारी का कहना है कि ये “चाबियों की अदला-बदली” की वजह से हुआ, जबकि पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने तो साफ कहा कि उन्हें तो इस मामले की कोई जानकारी ही नहीं है।
मध्य प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में 15 अगस्त से डायल-112 को नया एकीकृत इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर बनाया है, जिससे पुलिस, फायर, एम्बुलेंस, महिला हेल्पलाइन, साइबर क्राइम और अन्य आपातकालीन सेवाओं को एक ही नंबर से जोड़ा गया है।
लेकिन इस घटना के बाद लोग अब यही पूछ रहे हैं –
“अगर पुलिस अपनी ही गाड़ियों की चाबियाँ संभाल नहीं पा रही, तो जनता की सुरक्षा कैसे करेगी?”