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सुप्रीम कोर्ट के बाद ‘अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार संधि’ (CITES) ने भी वनतारा को दी क्लीन चिट

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 185

पशु-संरक्षण के क्षेत्र में वनतारा ने कायम की नई मिसाल - CITES
वनतारा में आधुनिक बाड़े, चिकित्सीय देखभाल और उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं
भारत की वन्यजीव सुरक्षा और नियामक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी

4 नवम्बर 2025। दुनिया भर में जंगली जीव-जंतुओं और पक्षियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अवैद्य व्यापार पर नजर रखने वाली संस्था ‘अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार संधि (CITES)’ ने गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा परियोजना और उससे जुड़ी दो संस्थाओं ‘ग्रीन ज़ूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिकवरी सेंटर’ (GZRRC) और ‘राधाकृष्ण टेम्पल एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट’ (RKTEWT) की बेहतरीन कार्यप्रणालियों और कामकाज की खुलकर सराहना की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी वनतारा को क्लीन चिट दी थी।

जांच रिपोर्ट में CITES ने कहा है कि दोनों संस्थान बहुत ही उच्च मानकों के आधार पर संचालित हो रहे हैं। यहां पशुओं के लिए आधुनिक बाड़े, चिकित्सीय देखभाल और उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन संस्थानों ने पशु-चिकित्सा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। एक कदम आगे बढ़कर रिपोर्ट में यह सलाह दी गई कि पशु चिकित्सा के अनुभव को इन संस्थानों को वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा करना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वन्यजीव सुरक्षा और नियामक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी है, और वनतारा पशु-संरक्षण के क्षेत्र में नई मिसाल कायम कर रहा है। CITES ने कहा कि भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि GZRRC और RKTEWT द्वारा की गई सभी पशु-आयात प्रक्रियाएं भारतीय कानूनों के अनुसार पूरी तरह वैध और पारदर्शी हों।

संस्था ने जांच में पाया कि सभी पशु, CITES निर्यात या पुनः-निर्यात परमिट पर ही भारत लाए गए हैं। बिना परमिट के कोई भी पशु भारत नहीं लाया गया। इसके अलावा, किसी भी वाणिज्यिक उद्देश्य से पशुओं के आयात या बिक्री का भी कोई संकेत नहीं पाया गया। रिपोर्ट में खासतौर पर यह बताया गया कि कैसे वनतारा ने पारदर्शिता की कमी के चलते कैमरून से चिंपांज़ी का आयात रद्द कर दिया था।

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