Bhopal: 27 मार्च 2023। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एडवोकेट कमिश्का ने बताया कि इनमें आईपीसी की धारा 364ए सबसे बड़ी धारा है। एडवोकेट कमिश्का ने बताया कि यह धारा अपहरण के लिए कठोर दंड का प्रावधान रखती है। एडवोकेट कमिश्का ने बताया कि 364ए में उम्रकैद मौत की सजा और जुर्माना हो सकता है।
अतीक अहमद को साबरमती जेल से नैनी जेल लाया जा चुका है। वहीं अतीक के भाई अशरफ को भी बरेली जेल से लाया गया है। अतीक और अशरफ को पुलिस कल कोर्ट में पेश करेगी। जहां एक बहुत पुराने मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
कानूनी जानकारों का कहना है कि इस केस में अतीक और अशरफ को फांसी या उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि जिस मामले में कोर्ट अतीक और अशरफ को फैसला सुनाएगा वो आखिर क्या मामला है और किन धाराओं में अतीक पर मुकदमे दर्ज हैं।
17 साल पुराना है मामला
अतीक अहमद और अशरफ को पुलिस जिस केस में कोर्ट में पेश करने प्रयागराज लाई है वो मामला 17 साल पुराना है। यह केस है राजू पाल हत्याकांड के मुख्य ग्वाह रहे उमेश पाल के अपहरण का। वही उमेश पाल जिसकी हाल ही में हत्या कर दी गई। उमेश पाल ने ही अतीक के खिलाफ केस दर्ज कराया था कि अतीक ने उसका अपहरण कर उसे टॉर्चर किया था।
28 फरवरी साल 2006 में हुआ था अपहरण
28 फरवरी साल 2006 में उमेश पाल का अपहरण हुआ था। इसके एक साल बीतने के बाद उमेश पाल ने धूमनगंज थाने में अपने अपहरण की तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। दिलचस्प बात यह है कि उमेश पाल ने यह मुकदमा तब दर्ज कराया जब प्रदेश में बसपा की सरकार आई और मायावती साल 2007 मेंमुख्यमंत्री बनीं। उमेश की तहरीर के आधार पर पुलिस ने अतीक, अशरफ और उनके कई करीबीयों पर केस दर्ज किया था।
उमेश ने लगाए थे गंभीर आरोप
उमेश ने अपनी तहरीर में कहा था कि उसे अगवा कर प्रयागराज के चकिया स्थित अतीक के कार्यालय ले जाया गया था। बताया जाता है कि अतीक के दफतर में एक टॉर्चर रूम भी है। पुलिस का मानना है कि उमेश पाल को ले जाकर वहीं रखा गया और उसे यातनाएं दी गईं।
उमेश ने कहा था- मुझे पूरी रात पीटा गया
उमेश ने पुलिस को बताया कि अपहरण के बाद उसे पूरी रात वहीं अतीक के कार्यालय में रखा गया। अपहरण के बाद उसे पूरी रात पीटा गया और धमकाया गया। इसके बाद उससे हलफनामा लिया गया कि वह राजूपाल हत्याकांड के समय मौके पर नहीं था।
इसके बाद अगले ही दिन यानि एक मार्च को उसी हलफनामे के साथ अतीक के करीबियों ने उसे कोर्ट में पेश कर दिया। उमेश ने कोर्ट को बताया कि वह यह हलफनामा अपने होशोहवास में लगा रहा है। उमेश ने कोर्ट में गवाही दी थी कि वह राजूपाल हत्याकांड के समय मौके पर मौजूद नहीं था।
बसपा की सरकार आने के बाद दर्ज कराया मुकदमा
उमेश पाल ने जब हलफनामा दिया कि वह राजूपाल हत्याकांड के समय मौके पर मौजूद नहीं था तो उस समय पूरे इलाहाबाद में चर्चा फैली कि उमेश पाल अतीक अहमद से मिल गया है। हलांकि यूपी में जब सरकार बदली और मायावती सीएम बनीं तो 5 जुलाई साल 2007 में उमेश पाल ने धूमनगंज थाने में केस दर्ज करा दिया। इसमें उसने कहा कि उसे जबरन अपहरण कर दफतर ले जाया गया, उसे बंधक बनाया गया, इसके बाद जबरन हलफनामा तैयार कर उससे गवाही दिलाई गई।
इन धाराओं में हो सकती है सजा
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक और उसके कई साथियों पर धारा 147,148, 149, 323, 341, 504, 506, 342, 364ए, 34,120B के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एडवोकेट कमिश्का ने बताया कि इनमें आईपीसी की धारा 364ए सबसे बड़ी धारा है। एडवोकेट कमिश्का ने बताया कि यह धारा अपहरण के लिए कठोर दंड का प्रावधान रखती है। एडवोकेट कमिश्का ने बताया कि 364ए में उम्रकैद, मौत की सजा और जुर्माना हो सकता है।
7 साल पुराने मामले में अतीक-अशरफ के खिलाफ आएगा फैसला, जानिए क्या है पूरी कहानी
Location:
Bhopal
👤Posted By: prativad
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