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भोपाल की युवा बिज़नेस वुमन "स्नेह निगम" को मिला वुमन एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1021

स्टार्टअप माइंडकैफ़े मेंटल हेल्थ पर करता है कार्य
11 जुलाई 2024। हाल ही में भोपाल की एक युवा बिज़नेस वुमन, सुश्री स्नेह निगम को दिल्ली के भारत मंडपम, प्रगति मैदान में आयोजित एशिया के सबसे बड़े स्टार्टअप कार्यक्रम, स्टार्टअप महाकुंभ में "वुमन एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड, 2024" से सम्मानित किया गया है। "इंडिया फर्स्ट स्टार्टअप मिशन" कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया था। स्नेह निगम को कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति में यह पुरस्कार मिला। यह उद्यमिता और नवाचार साथ के प्रति उनके समर्पण और नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करता है।

समाज को खुशहाल बनाने के लिए कार्य कर रहा है ?माइंडकैफ़े?
सुश्री स्नेह निगम ने स्टार्टअप, माइंडकैफे की शुरुआत 2022 में की। माइंडकैफ़े मेंटल हेल्थ की क्षेत्र में सक्रियता से कार्य कर रहा है। माइंडकैफे ने अपने ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से 10 हज़ार से अधिक लोगो को मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद की है। माइंडकैफे ने अपने एम्प्लोयी वेलबिंग प्रोग्राम्स के द्वारा टाटा स्टील, ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे और रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल्स जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। माइंडकैफ़े की कोशिश है कि समाज को एक ख़ुशहाल जगह प्रदान करे जहाँ लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और अपने भीतर शांति का अनुभव कर सकें।

समाज की भ्रांति के कारण मदद लेने से कतराते हैं लोग
मानसिक स्वास्थ्य आज के समय में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो भारतीय और वैश्विक दोनों ही संदर्भों में अत्यंत प्रासंगिक है। दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और इन्हें गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में काफी भ्रांतियां और अज्ञानता है। भारतीय समाज में मानसिक बीमारियों के प्रति कई पूर्वाग्रह हैं, लोग इसे कमजोरी या पागलपन का संकेत मानते हैं। जिससे लोग मदद लेने से कतराते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में लगभग 7.5% आबादी किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। इनमें से अवसाद और चिंता (depression and anxiety) सबसे आम हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) के अनुसार, भारत में हर छठा व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी न किसी मानसिक समस्या का सामना करता है। यह भी पाया गया कि भारत में लगभग 200,000 लोग हर साल आत्महत्या करते हैं, जो वैश्विक आंकड़ों का 17.5% है। वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य एक चिंतनीय विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 26 करोड़ 40 लाख लोग दुनिया भर में अवसाद से पीड़ित हैं। इसके अलावा, हर साल लगभग 800,000 लोग आत्महत्या करते हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। अमेरिका में लगभग 20% आबादी किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। यूरोप में 25% लोग किसी न किसी मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं।

स्वस्थ और खुशहाल समाज के लिए समाज के सभी वर्गों की सहभागिता और जागरूकता आवश्यक
आज मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार किया जाना आवश्यक है। समुदाय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को पहचानने और उनका समाधान करने के प्रयास किए जाने चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसे भारतीय और वैश्विक दोनों संदर्भों में गंभीरता से लेने और आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। समाज के हर वर्ग को इस दिशा में अपना योगदान देना चाहिए ताकि एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण हो सके।

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