
25 जनवरी 2025। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐतिहासिक घोषणा करते हुए बताया कि एम्स भोपाल अब मध्य भारत का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां सफलतापूर्वक हृदय प्रत्यारोपण किया गया है।
एम्स भोपाल की इन-हाउस टीम ने किया कमाल
प्रो. सिंह ने बताया कि इस जटिल हृदय प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया एम्स भोपाल के डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों की कुशल इन-हाउस टीम द्वारा की गई। प्रत्यारोपण में शामिल डॉक्टरों ने चेन्नई में 15 दिनों का विशेष प्रशिक्षण लेकर इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता हासिल की थी।
आयुष्मान पैकेज में हृदय प्रत्यारोपण को शामिल करने की अपील
प्रो. सिंह ने बताया कि वर्तमान में हृदय प्रत्यारोपण आयुष्मान पैकेज में शामिल नहीं है। उन्होंने सरकार से अपील की कि इसे आयुष्मान योजना के तहत लाया जाए ताकि आर्थिक रूप से कमजोर मरीज भी इसका लाभ उठा सकें। इस मरीज का हार्ट ट्रांसप्लांट निःशुल्क किया गया, क्योंकि वह गरीब परिवार से था और इलाज की लागत वहन करने में असमर्थ था।
मरीज की हालत स्थिर, विशेषज्ञों की टीम कर रही है निगरानी
प्रो. सिंह ने बताया कि हृदय प्रत्यारोपण के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है। विशेषज्ञों की टीम लगातार उसकी निगरानी और देखभाल कर रही है।
एम्स भोपाल की उपलब्धियां और भविष्य की योजनाएं
एम्स भोपाल अब तक किडनी, बोन मैरो, और कॉर्निया प्रत्यारोपण में सफलता हासिल कर चुका है। निकट भविष्य में फेफड़े और लीवर प्रत्यारोपण शुरू करने की भी योजना है।
टीम के प्रयासों की सराहना
प्रो. सिंह ने इस उपलब्धि के लिए सीटीवीएस, कार्डियोलॉजी, और एनेस्थीसिया टीमों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल एम्स भोपाल के लिए, बल्कि पूरे मध्य भारत के लिए गर्व का विषय है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में नई उम्मीद
एम्स भोपाल के इस ऐतिहासिक कदम ने मध्य भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई दिशा दी है और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों की क्षमता और प्रतिबद्धता को साबित किया है।