
1 मई 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। यह फैसला 2025-26 की पेराई सीजन (अक्टूबर 2025 से सितंबर 2026) के लिए लिया गया है और यह पहले के मुकाबले 15 रुपये अधिक है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री का आभार जताया और कहा कि यह निर्णय 5 करोड़ गन्ना किसानों और 5 लाख से अधिक श्रमिकों के जीवन में आर्थिक बदलाव लाएगा।
👉 CM योगी ने कहा – "गन्ना किसानों के आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ाया गया एक मजबूत कदम"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गन्ना किसानों के लिए जो संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता दिखाई है, वह प्रशंसनीय है। यह फैसला किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण, सम्मानजनक जीवन और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।" उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में गन्ना एक महत्वपूर्ण फसल है, जिससे न केवल किसान बल्कि सहकारी चीनी मिलों, परिवहन और श्रमिक वर्ग को भी रोजगार मिलता है।
🎋 देशभर के गन्ना किसानों को मिलेगा लाभ
केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित नया FRP देशभर के किसानों पर प्रभाव डालेगा। यह दाम 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से अन्य राज्यों — जैसे पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र — में भी गन्ने की खरीद कीमत बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा।
🎋 पृष्ठभूमि: लगातार बढ़ रही है गन्ने के भाव की मांग
भारत में गन्ना किसानों की ओर से लंबे समय से गन्ने की कीमत बढ़ाने की मांग की जा रही थी। किसान संगठनों ने FRP को 450 रुपये प्रति क्विंटल तक करने की मांग की थी। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस बार 15 रुपये की वृद्धि के साथ इसे 355 रुपये तक पहुंचा दिया है।
2024-25 की पिछली पेराई सीजन में भी FRP में 25 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी, जिससे संकेत मिला था कि सरकार किसान हितैषी नीतियों को प्राथमिकता दे रही है। गन्ना मूल्य निर्धारण एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा भी रहा है, विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों में जहां गन्ना प्रमुख फसल है और बड़ी आबादी इससे आजीविका कमाती है।
🎋 क्या है FRP?
उचित और लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price - FRP) वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना अनिवार्य होता है। यह मूल्य केंद्र सरकार तय करती है ताकि किसानों को फसल का उचित मुनाफा मिल सके।
गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी से एक ओर जहां किसानों की आमदनी में इजाफा होगा, वहीं सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक मजबूती भी मिल सकती है। आने वाले समय में यह फैसला चुनावी राजनीति में भी अहम भूमिका निभा सकता है।