
6 सितंबर 2025। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से वित्तीय क्षेत्र में गहराई तक प्रवेश कर रहा है। बैंकिंग, ट्रेडिंग और लोन जैसे काम अब पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी और स्वचालित तरीक़े से हो रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस तकनीक को बिना पारदर्शिता और निगरानी के अपनाया गया, तो यह किसी बड़े वित्तीय संकट की वजह भी बन सकती है।
कैसे पैदा हो सकता है खतरा
तेज़ ट्रेडिंग का असर: एआई आधारित हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग सिस्टम माइक्रोसेकंड में लाखों सौदे करते हैं। अगर कई एआई एक-दूसरे की गतिविधियों पर तुरंत प्रतिक्रिया दें तो मामूली उतार-चढ़ाव भी भारी गिरावट में बदल सकता है।
‘ब्लैक बॉक्स’ निर्णय: कई बार इन सिस्टम्स के फैसलों को इंसान पूरी तरह समझ ही नहीं पाते। ऐसे में गलत जोखिम आकलन पूरी वित्तीय व्यवस्था को हिला सकता है।
लोन और क्रेडिट का ऑटोमेशन: अगर एआई अचानक किसी समूह को क्रेडिट से बाहर कर दे या जोखिमपूर्ण ग्राहकों को अधिक पैसा देने लगे, तो यह बबल और कर्ज संकट पैदा कर सकता है।
धोखाधड़ी और डीपफेक का खतरा: एआई से बनी फर्जी पहचान और डीपफेक ऑडियो-वीडियो के ज़रिए बड़े पैमाने पर बैंकिंग फ्रॉड संभव है।
कुछ कंपनियों पर निर्भरता: उन्नत एआई तकनीक फिलहाल गिनी-चुनी कंपनियों के पास है। अगर इनमें से किसी की चूक या साइबर अटैक हुआ तो असर वैश्विक वित्तीय बाजारों तक पहुंच सकता है।
सकारात्मक पहलू भी मौजूद
विशेषज्ञ मानते हैं कि एआई संकट टालने में भी मदद कर सकता है। यह धोखाधड़ी को तेज़ी से पकड़ सकता है, जोखिम का बेहतर अनुमान लगा सकता है और बैंकों को तनाव-परीक्षण (Stress Test) के ज़रिए अधिक सतर्क बना सकता है।
एआई अपने आप वित्तीय संकट नहीं लाएगा, लेकिन इसकी गति और पैमाने के कारण जोखिम कहीं ज़्यादा बड़ा हो सकता है। असली चुनौती है कि इसका इस्तेमाल पारदर्शिता, नियम और मानवीय निगरानी के साथ हो—वरना एक गलती पूरी व्यवस्था को हिला सकती है।
- दीपक शर्मा