1 दिसंबर 2025। रूस के व्लादिमीर शहर में हुए डायलॉग इंटरनेशनल डिस्कशन क्लब के ताज़ा सेशन में साइबर क्राइम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सबसे बड़ी चिंता के रूप में उभरे। एक्सपर्ट्स ने कहा कि उभरती टेक्नोलॉजी के लिए दुनिया को एक मजबूत ग्लोबल रिस्पॉन्स और समझदारी भरे रेगुलेशन की जरूरत है।
मीटिंग रशियन प्रेसिडेंशियल एकेडमी के कैंपस में हुई। एकेडमिक्स, IT सेक्टर और सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधि एक साथ बैठे। क्लब के हेड व्याचेस्लाव कार्तुखिन ने कहा कि साइबर अपराधी हर देश में नई तकनीक के साथ और ज्यादा चालाक होते जा रहे हैं, इसलिए देशों के बीच सहयोग अनिवार्य है।
पहले पैनल ने यह सवाल उठाया कि डिजिटल स्पेस में आखिर कंट्रोल किसका है—AI का, या अभी भी इंसानों का? और क्या आज़ादी को कुचले बिना तकनीकी नियम बनाए जा सकते हैं?
ह्यूमन राइट्स काउंसिल की सदस्य एलिना सिडोरेंको ने बताया कि AI ने साइबर अपराध को खतरनाक रफ्तार दे दी है। उनकी बात सीधी और कड़वी थी: AI के साथ गैर-कानूनी काम करना पहले से कहीं आसान हो गया है और अपराध का पैमाना तेज़ी से बढ़ रहा है।
इंटरपोल की 2024 ग्लोबल साइबरक्राइम रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में साइबर हमलों से कुल नुकसान 13 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर जा चुका है। ENISA की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ पिछले साल AI-आधारित फ़िशिंग और डीपफेक धोखाधड़ी में 35% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। अब हमले सिर्फ पैसों के पीछे नहीं हैं; अस्पताल, जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकारी सिस्टम भी लगातार टारगेट हो रहे हैं।
सिडोरेंको ने कहा कि डायलॉग क्लब अब उन कठिन मुद्दों पर बातचीत का महत्वपूर्ण मंच बन गया है जिन्हें कोई देश अकेले हल नहीं कर सकता। उन्होंने साइबरक्राइम पर हाल ही में हनोई में साइन हुई UN कन्वेंशन का भी ज़िक्र किया, जिसमें रूस ने अहम भूमिका निभाई है। यह कन्वेंशन साइबर अपराध से निपटने के लिए दुनिया का पहला व्यापक वैश्विक समझौता माना जा रहा है।
डायलॉग क्लब नवंबर 2022 में शुरू हुआ था और तब से यह रूस, चीन, भारत, मध्य एशिया, तुर्की, श्रीलंका और कई अफ्रीकी देशों के एक्सपर्ट्स को सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर साथ लाता रहा है।














