19 नवंबर 2025। गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अभी भी गलतियाँ कर सकता है, इसलिए उस पर आँख मूंदकर भरोसा करना समझदारी नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि एआई मॉडल “त्रुटियों के लिए प्रवण” होते हैं और इन्हें हमेशा अन्य टूल्स के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
पिचाई ने उपयोगकर्ताओं को सलाह दी कि सिर्फ एआई के भरोसे न चलें, बल्कि अलग-अलग सर्च तरीकों का इस्तेमाल करें। उनके शब्दों में, “रचनात्मक लेखन जैसे कामों में एआई मदद करता है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि हर आउटपुट सही नहीं होगा। उपयोगकर्ताओं को इसकी सीमाएँ भी जाननी होंगी।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब गूगल अपने अगले बड़े मॉडल Gemini 3.0 की तैयारी कर रहा है, जिसे साल के अंत तक लॉन्च किया जाना तय माना जा रहा है। इससे पहले 2023 में आए Gemini मॉडल को उसकी सुरक्षा और विविधता सेटिंग्स के कारण कई गलत इमेज जनरेशन आउटपुट के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी। ऐतिहासिक किरदारों की गलत प्रस्तुतियों को लेकर सोशल मीडिया पर इसका खूब मजाक भी बना।
बीते दिनों गूगल एक और विवाद में घिरा जब कैलिफ़ोर्निया की संघीय अदालत में कंपनी पर बिना अनुमति के Gemini को उपयोगकर्ता डेटा इकट्ठा करने की छूट देने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया गया। दावा किया गया कि एआई असिस्टेंट ने जीमेल, चैट और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर निजी बातचीत की निगरानी की।
तेज़ी से बढ़ रहे एआई उद्योग में भारी निवेश हो रहा है। अनुमान है कि प्रमुख टेक कंपनियाँ हर साल लगभग 400 अरब डॉलर एआई पर खर्च कर रही हैं। चैटजीपीटी जैसी सेवाओं ने गूगल के खोज क्षेत्र में लंबे समय के दबदबे को चुनौती दी है, जिससे प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है।
जब पिचाई से पूछा गया कि अगर एआई का चलन एक बुलबुले में बदलकर फूट गया तो क्या गूगल सुरक्षित रहेगा, उन्होंने सीधे कहा, “ऐसे हालात में कोई भी कंपनी पूरी तरह सुरक्षित नहीं होगी, हम भी नहीं।”














