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भारत एशिया-प्रशांत में एआई बॉट गतिविधि का सबसे बड़ा निशाना, दुनिया में ऑटोमेटेड ट्रैफिक 300% बढ़ा: रिपोर्ट

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 191

9 नवंबर 2025। एआई-संचालित बॉट्स का दबदबा तेजी से बढ़ रहा है, और भारत इस लहर के केंद्र में है। साइबर सुरक्षा कंपनी अकामाई टेक्नोलॉजीज़ की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अकेले 3.2 अरब एआई बॉट ट्रिगर्स दर्ज हुए, जो एशिया-प्रशांत में सबसे ज्यादा हैं। इस सूची में भारत के बाद जापान और चीन हैं।

◼️ खतरा क्यों बढ़ा
रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक साल में वैश्विक स्तर पर स्वचालित बॉट ट्रैफिक में 300 प्रतिशत की उछाल आई है। ये बॉट अलग-अलग उद्योगों की वेबसाइटों को निशाना बनाते हैं और अरबों रिक्वेस्ट जनरेट करते हैं। इससे वेबसाइट एनालिटिक्स गड़बड़ा जाते हैं और डिजिटल ऑपरेशन पर असर पड़ता है। अकेले अकामाई प्लेटफॉर्म पर कुल बॉट ट्रैफिक का करीब 1 प्रतिशत हिस्सा एआई-संचालित बॉट का है।

सबसे बड़ा खतरा कंटेंट स्क्रैपिंग से है। एआई बॉट वेबसाइटों से कंटेंट उठा रहे हैं और बदले में कुछ लौटाए बिना उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका सीधा असर मीडिया, पब्लिशर्स और विज्ञापन-आधारित बिजनेस मॉडल पर पड़ रहा है। ट्रैफिक असली लगता है, लेकिन एनालिटिक्स और ऐड रेवेन्यू दोनों बिगड़ जाते हैं।

◼️ एआई ने साइबर अपराध को आसान बनाया
रिपोर्ट बताती है कि एआई-टूल्स ने धोखाधड़ी का तरीका भी बदल दिया है। अब अनुभवी हैकर्स हों या नए साइबर अपराधी, दोनों आसानी से:
पहचान की नकली तस्वीरें और दस्तावेज तैयार कर रहे हैं
सोशल इंजीनियरिंग और फ़िशिंग कैंपेन चला रहे हैं
प्रतिरूपण हमले शुरू कर रहे हैं

FraudGPT, WormGPT, ऐड-फ्रॉड बॉट्स और रिटर्न-फ्रॉड बॉट्स जैसे टूल लागत बढ़ा रहे हैं, साइट की स्पीड गिरा रहे हैं और डेटा को विकृत कर रहे हैं।

◼️ सबसे ज्यादा नुकसान किसे
ई-कॉमर्स सेक्टर में दो महीने में 25 अरब से ज्यादा बॉट रिक्वेस्ट दर्ज हुए
लेकिन सबसे ज्यादा मार डिजिटल मीडिया सेक्टर पर पड़ी, जहां 63 प्रतिशत एआई बॉट ट्रिगर्स मिले
हेल्थकेयर में 90 प्रतिशत एआई बॉट ट्रिगर्स डेटा स्क्रैपिंग से जुड़े थे, ज्यादातर सर्च और ट्रेनिंग बॉटों द्वारा

◼️ कुल तस्वीर
सरल शब्दों में, एआई बॉट्स इंटरनेट के सबसे बड़े ट्रैफिक-ड्राइवर बनते जा रहे हैं। फायदा कुछ कंपनियों को हो रहा है, लेकिन डिजिटल मीडिया, ई-कॉमर्स और हेल्थ सेक्टर पर दबाव बढ़ रहा है। डेटा चोरी, फर्जी पहचान और विज्ञापन धोखाधड़ी जैसे खतरे अब पहले से ज्यादा तेज, सटीक और ऑटोमेटेड हो चुके हैं।

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