
24 सितंबर 2025। अमेरिका द्वारा आयात पर भारी टैरिफ और वीज़ा नियमों की सख़्ती के बावजूद, वैश्विक बैंक जेपी मॉर्गन चेस का मानना है कि भारत दुनिया की कठिन आर्थिक परिस्थितियों में भी "उज्ज्वल संभावना" (Bright Spot) बना हुआ है।
जेपी मॉर्गन चेस के एशिया-प्रशांत प्रमुख स्जोर्ड लीनार्ट ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत की मजबूत घरेलू वृद्धि और निर्यात पर कम निर्भरता उसे वैश्विक संकटों से बचा रही है। उन्होंने भरोसा जताया कि नई दिल्ली अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% तक के टैरिफ से निपट लेगी।
लीनार्ट ने माना कि भारत के सामने टैरिफ और H-1B वीज़ा जैसी चुनौतियाँ हैं, लेकिन समग्र रूप से भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर और मजबूत है।
पिछले महीने अमेरिका ने भारत-रूस व्यापार वार्ता विफल होने के बाद, रूस से तेल आयात के चलते भारत से आने वाले अधिकांश उत्पादों पर 25% टैरिफ लगा दिया था। इसके बावजूद, जून 2025 को समाप्त तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8% की दर से बढ़ी। केंद्र सरकार ने टैरिफ के असर को कम करने और त्योहारी सीजन से पहले घरेलू खपत को बढ़ावा देने के लिए कई वस्तुओं पर करों में कटौती की है।
भारत और अमेरिका के बीच नई व्यापार वार्ताएँ पिछले सप्ताह फिर शुरू हुईं। हालांकि, अमेरिकी मांग—भारतीय कृषि और डेयरी बाजार में अधिक पहुंच—पर सहमति नहीं बन पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही किसानों के हितों की रक्षा के लिए "कड़ी दीवार की तरह खड़े रहने" का वादा कर चुके हैं।
इसी बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत H-1B वीज़ा की आवेदन फीस 100,000 डॉलर कर दी गई है। गौरतलब है कि इन वीज़ा का 70% से अधिक हिस्सा भारतीय पेशेवरों को जाता है।
ट्रम्प प्रशासन भारत पर रूस से तेल की खरीद रोकने का दबाव भी बना रहा है। अमेरिका का आरोप है कि इससे यूक्रेन संघर्ष को बल मिलता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि रूस अभी भी भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और उसके कुल आयात का लगभग 40% हिस्सा रूस से आता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर और दिसंबर की डिलीवरी के लिए भी भारत का रूस से तेल आयात मजबूत रहने की संभावना है।