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विश्व रंग श्रीलंका–2025 का भव्य शुभारंभ, दक्षिण एशियाई देशों में, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में सांस्कृतिक एकता के आधार पर हुआ केंद्रीय विमर्श

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 237

भाषा का लुप्त होना पूरी संस्कृति का लुप्त हो जाना होता है–पवन वर्मा

वैश्विक स्तर पर हिंदी को आगे ले जाने के अब कई रास्ते खुले हैं–संतोष चौबे

30 सितंबर 2025। विश्व रंग श्रीलंका–2025 का भव्य शुभारंभ विश्व रंग फाउंडेशन (भारत), रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत), स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, भारतीय उच्चायोग, कोलंबो, श्रीलंका के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र, भारतीय उच्चायोग, कोलंबो (श्रीलंका) में समारोह पूर्वक किया गया। उद्घाटन अवसर पर भारतीय और श्रीलंकाई साझा संस्कृति के विविध रंगों को समेटे रंगारंग शोभायात्रा का आयोजन किया गया। विश्व रंग आया है रंग हजारों लाया है, विश्व रंग जिन्दाबाद के गगनभेदी नारों ने सभी को रोमांचित कर दिया। विश्व रंग की रंगारंग शोभा यात्रा ने विश्व एकता, सद्भावना और मानवता का पैगाम पूरे विश्व को दिया।

विश्व रंग श्रीलंका –2025 का भव्य शुभारंभ
शोभा यात्रा के पश्चात अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर विधिवत रूप से विश्व रंग श्रीलंका के संस्करण का भव्य शुभारंभ किया गया। विश्व रंग के स्वप्न दृष्टा श्री संतोष चौबे, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने सर्वप्रथम विश्व रंग की दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुझे यह कहते हुए बड़ा गर्व है, कि हिंदी विश्व की तीसरी भाषा के रूप में जानी जाती है। हम पिछले 40 वर्षों से हिंदी के संरक्षण, संवर्धन, और प्रचार प्रसार की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं। हमारा मानना है कि मनुष्य और समाज को रचनात्मक रूप से बदलने की ताकत कला, संस्कृति, साहित्य और भाषा में होती है। विश्व रंग की अवधारणा को रखते हुए कहा कि हिंदी के सामने विकास की असीम संभावनाएँ हैं। हम सभी को इस दिशा में संकल्पित होकर काम करना चाहिए। साथ ही साथ तकनीकी का उपयोग हिंदी के विकास की दिशा में करने की जरूरत है। बोलियों और भाषाओं में जीवन का रस है, इसलिए हमें बोलियोंं और भाषाओं को भी नहीं भूलना है। भारत की भाषा, संस्कृति, कला और साहित्यिक समृद्धि को लेकर विश्व रंग आप सबके सामने हैं।

विशिष्ट अतिथि श्री पवन वर्मा, सुप्रसिद्ध लेखक, राजनयिक एवं पूर्व राज्य सभा सांसद ने दक्षिण एशियाई एवं दक्षिण–पूर्व एशियाई देशों की सांस्कृतिक एकता के आधार पर उद्घाटन वक्तव्य रखते हुए कहा कि इन सभी देशों की एतिहासिक पृष्ठभूमि में सांस्कृतिक एकता के मजबूत आधार मौजूद हैं। भाषाई समन्वय भी बड़ा आधार है। हमें इन्हें फिर से एक सूत्र में पिरोने की जरूरत है। यह समय हमारी मातृभाषाओं, बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं को बचाने का समय है। एक भाषा का लुप्त होना पूरी संस्कृति का लुप्त हो जाना होता है। भाषा के साथ ही हमारी लोरियां, गीत, मुहावरे, कहावतें भी लुप्त हो जाती है।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि महामहिम श्री संतोष झा, भारत के उच्चायुक्त ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व रंग श्रीलंका –2025 का आयोजन विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, भारतीय उच्चायोग, कोलंबो में होना भारत और श्रीलंका की साझा सांस्कृतिक विरासत को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि माननीय श्री हिनिदुमा सुनील सेनावी, मंत्री–बुद्धशासन, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्य, श्रीलंका ने कहा कि हिंदी भाषा और संस्कृति को केंद्र में रखकर कोलंबो में विश्व रंग श्रीलंका–2025 का आयोजन होना हमारे लिये गौरव का विषय है। श्रीलंका सरकार भी हिंदी के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को सहयोग प्रदान करती है।

स्वागत उद्बोधन श्री अंकुरण दत्ता, निदेशक, विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, श्रीलंका एवं डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, निदेशक, विश्व रंग फाउंडेशन (भारत) द्वारा दिया गया। इस अवसर पर विश्व रंग की अब तक की यात्रा पर केंद्रित वीडियो फिल्म की प्रस्तुति की गई।

विश्व रंग श्रीलंका में 'विश्व में हिंदी' सहित महत्वपूर्ण पुस्तकें हुई लोकार्पित
पुस्तक लोकार्पण के अंतर्गत 65 देशों में हिंदी की स्थिति का विस्तार पूर्वक आकलन करती पुस्तक 'विश्व में हिंदी' का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र द्वारा तैयार टैगोर के सांस्कृतिक निबंधों कै सहेज कर तैयार की गई पुस्तक 'आनंदधारा', दक्षिण भारतीय भाषाओं में हिंदी पर केंद्रित विश्व रंग संवाद पत्रिका के विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, भारतीर उच्चायोग, कोलंबो, श्रीलंका द्वारा प्रकाशित 'सिंहली–हिंदी शब्द कोश' एवं श्रीलंका हिंदी समाचार पत्रिका (हिंदी दिवस विशेषांक) का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया।

विश्व रंग श्रीलंका 2025 में श्रीलंका के हिंदी विद्वानों को विश्व रंग भाषा सम्मान से किया गया अलंकृत
विश्व रंग के अंतर्गत भारतीय भाषाओं और हिंदी के वैश्विक प्रचार प्रसार के लिए उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने वालों को विश्व रंग भाषा सम्मान से सम्मानित किया जाता है। श्रीलंका में हिंदी के उत्कृष्ट कार्य करने के लिए श्रीमती वसंता पद्मिनी, वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं हिंदी सेवी तथा श्री संगीत रत्नायक, वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं हिंदी सेवी को विश्व रंग भाषा सम्मान से सम्मानित किया गया।

दोनों हिंदी सेवी को यह सम्मान महामहिम श्री संतोष झा, भारत के उच्चायुक्त, विशिष्ट अतिथि माननीय श्री हिनिदुमा सुनील सेनावी, मंत्री– बुद्धशासन, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्य, श्रीलंका, विशिष्ट अतिथि श्री पवन वर्मा, सुप्रसिद्ध लेखक, राजनयिक एवं पूर्व राज्य सभा सदस्य, समारोह के अध्यक्ष श्री संतोष चौबे, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, श्री अंकुरण दत्ता, निदेशक, स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, श्रीलंका, डॉ. विजय सिंह, कुलपति, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किये गए।

सत्र 2 : उद्घाटन व्याख्यान :
श्री पवन वर्मा, सुप्रसिद्ध लेखक, राजनयिक एवं पूर्व राज्य सभा सांसद (भारत) द्वारा 'दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की सांस्कृतिक एकता के आधार' के आधार पर उद्घाटन व्याख्यान दिया गया। व्याख्यान के पश्चात श्री संतोष चौबे, निदेशक, विश्व रंग ने श्री पवन वर्मा से सार्थक बातचीत की।

सत्र 3 'दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में सांस्कृतिक समन्वय' सत्र का आयोजन विश्व रंग के निदेशक, श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। वक्ता के तौर पर डॉ. सिद्धार्थ सिंह, कुलपति, डॉ. अख़लाक़ अहमद, वरिष्ठ शिक्षाविद्, डॉ. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने अपने विचार रखे।

सत्र 4 'दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की भाषाओं, भाषिक तत्वों की समानता' सत्र का आयोजन प्रो. लक्ष्मण सेनेविरत्न (श्रीलंका) की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। वक्ता के रूप में श्री विजय कुमार मलहोत्रा, डॉ.सरसि रणसिंह (श्रीलंका), डॉ. जवाहर कर्नावट, निदेशक, टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र द्वारा विचार व्यक्त किए गए।

सत्र 5 'दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भारतीय भाषाओं का परिदृश्य' विषय पर सत्र का आयोजन वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. मणींद्रनाथ ठाकुर की अध्यक्षता में किया गया। वक्ता के रूप में डॉ. करुणा शंकर उपाध्याय, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय, श्री राकेश पाठक, संपादक, प्रवासी संसार ने विचार व्यक्त किये।

सत्र 6 'विदेशी भाषा व तृतीय भाषा के संदर्भ में दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के हिंदी विद्यार्थियों की समस्याएँ' विषय पर सत्र का आयोजन डॉ. जितेन्द्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ कवि, आलोचक एवं निदेशक, अंतरराष्ट्रीय प्रभाग, इग्नू (शिक्षा विभाग, भारत सरकार) नई दिल्ली की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। वक्ता के रूप प्रो. अनुषा सल्वतुर (श्रीलंका), सुश्री रिदमा निशादिनी लंसक्कार (श्रीलंका), डॉ. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, श्रीमती सुनीता पाहुजा ने अपने विचार व्यक्त किये। छात्र संगम में श्रीलंका के सैकड़ों विद्यार्थियों ने विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड में की रचनात्मक भागीदारी

विश्व रंग श्रीलंका के अवसर पर श्रीलंका में हिंदी की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए 'छात्र संगम' का आयोजन कर उनके विशेष रूप से इसका हिस्सा बनाया गया। दो सत्रों में आयोजित छात्र संगम में श्रीलंका के सैकड़ों विद्यार्थियों ने विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड में रचनात्मक भागीदारी की।

साझा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से गुलजार हुई विश्व रंग श्रीलंका की सुहानी शाम
विश्व रंग श्रीलंका में श्रीलंका के कलाकारों ने श्रीलंका और भारत की एतिहासिक साझा सांस्कृतिक विरासत को लोकनृत्य वेस‌ नृत्य, सिंहवल्ली की कहानी, तिरलाना, नारिलता नृत्य, शिव द्रुपद - एक कथक नृत्य, कैंडियन डुवट डांस, नटेश कौत्तम, कथक फियुशन, गजगा आदि की मनोहारी प्रस्तुतियों के माध्यम से सभी का मन मोह लिया। विद्यार्थियों द्वारा शनि की महादशा नामक नाट्य प्रस्तुति की भी अविस्मरणीय प्रस्तुति दी।

विश्व रंग के निदेशक श्री संतोष चौबे, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की संपादक डॉ. विनीता चौबे, विश्व रंग फाउंडेशन की निदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने सांस्कृतिक संध्या के अंत में सभी कलाकारों का सम्मान किया।

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