
19 जुलाई 2025। जिसे वर्षों से भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में गिना जाता है, स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की रैंकिंग में एक चौंकाने वाला झटका लगा है। अधिकारियों को आशंका है कि डंपसाइट सुधार के आंकड़ों के अपलोड में तकनीकी या लिपिकीय गलती के चलते भोपाल को इस अहम श्रेणी में 0% अंक मिले हैं — जिससे शहर का शीर्ष स्थान फिसल गया।
◼️ 2018 के बाद बंद हुई भानपुर डंपसाइट, बना हरित क्षेत्र
भोपाल नगर निगम (बीएमसी) ने भानपुर की 40 साल पुरानी डंपसाइट को पूरी तरह बंद कर वैज्ञानिक तरीके से उसका उपचार किया। लगभग 7.23 लाख मीट्रिक टन कचरे को संसाधित कर, 21 एकड़ में से 16 एकड़ को हरित क्षेत्र में बदला गया है। आज यह क्षेत्र एक गोल्फ कोर्स जैसी हरियाली में तब्दील हो चुका है।
◼️ अब आदमपुर में होता है कचरा प्रबंधन
2018 के बाद से शहर का कचरा अब आदमपुर छावनी में भेजा जाता है, जहाँ रोजाना करीब 800 मीट्रिक टन कचरा प्रोसेस किया जा रहा है। इसके बावजूद स्वच्छ सर्वेक्षण में इस डंपसाइट सुधार कार्य को 0 अंक मिलना हैरान करने वाला है।
◼️ बाकी मापदंडों में 100% अंक
भोपाल ने सर्वे के अन्य पैमानों—जैसे घर-घर कचरा संग्रहण, बाज़ारों व आवासीय इलाकों की सफाई, पब्लिक टॉयलेट्स, और तालाबों की सफाई—में 100% अंक हासिल किए। ऐसे में सिर्फ डंपसाइट सुधार में मिले शून्य अंक ने सभी को अचरज में डाल दिया है।
◼️ दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक
सूत्रों के अनुसार, भानपुर और आदमपुर से जुड़ा पूरा डेटा पोर्टल पर अपलोड किया गया था, लेकिन अंतिम सबमिशन में कोई तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में शुक्रवार को एक पोस्ट-अवॉर्ड बैठक भी आयोजित की गई।
◼️ अधिकारियों की प्रतिक्रिया
एमपीयूएडी के आयुक्त संकेत भोंडवे ने कहा कि वे इस विसंगति से अवगत नहीं थे, लेकिन मामले की गहन जांच का आश्वासन दिया है।
भोपाल नगर निगम के आयुक्त हरेंद्र नारायण ने कहा, "परिणाम वास्तव में चौंकाने वाला है। इतने बड़े स्तर पर कचरा प्रोसेसिंग के बावजूद हमें ज़ीरो अंक मिलना समझ से परे है। हमने जवाब मांगा है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट होगी।"
◼️ क्या गड़बड़ी से उज्जैन को मिला फायदा?
गौरतलब है कि इस बार उज्जैन को डंपसाइट सुधार में 62% अंक मिले, जबकि भोपाल को शून्य। यह अंतर भोपाल के लिए न सिर्फ निराशाजनक है, बल्कि मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।