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आईसेक्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लिटरेसी मिशन का किया शुभारंभ, 1 करोड़ युवाओं को एआई प्रशिक्षण का लक्ष्य

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 451

17 अक्टूबर 2025। उच्च शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में देश के अग्रणी सामाजिक उद्यम आईसेक्ट द्वारा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर “आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लिटरेसी मिशन” का शुभारंभ बुधवार को एसजीएसयू कैंपस में किया गया। यह महत्वाकांक्षी योजना संतोष शुक्ला द्वारा लिखित और आईसेक्ट पब्लिकेशन से प्रकाशित पुस्तक “कृत्रिम बुद्धिमता – कृत्रिम नहीं, असली क्रांति” के विमोचन के साथ शुरू की गई। साथ ही कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लिटरेसी मिशन के पोस्टर का भी अनावरण किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में आईसेक्ट के चेयरमैन संतोष चौबे, स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, कुलगुरू डॉ. विजय सिंह, कुलसचिव डॉ. सितेश कुमार सिन्हा, सायबर एक्सपर्ट रघु पांडे, लेखक संतोष शुक्ला, आईसेक्ट पब्लिकेशन की हैड ज्योति रघुवंशी, आईसेक्ट के मार्केटिंग एवं पीआर हैड मनोज त्रिपाठी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने एआई के बढ़ते महत्व पर चर्चा की और स्किल्स को बढ़ावा देने वाली नीति आयोग की रिपोर्ट्स का जिक्र किया। आगे उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आने वाले समय की भाषा है, और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत का हर युवा इस भाषा को समझे और इसका उपयोग अपने करियर, समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए कर सके। आईसेक्ट का यह मिशन केवल तकनीकी प्रशिक्षण नहीं है, बल्कि यह युवाओं में नवाचार, उद्यमिता और भविष्य की संभावनाओं को जगाने की एक राष्ट्रीय पहल है। हमारा प्रयास है कि एआई सिर्फ़ बड़े शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि गांव-गांव और छोटे कस्बों तक पहुँचे, ताकि विकसित भारत 2047 का सपना सच हो सके। आगे उन्होंने बताया कि यह पहल भारत सरकार के स्किल इंडिया मिशन और नीति आयोग के AI रोडमैप के अनुकूल है। नीति आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को प्राप्त करने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। इसके लिए आवश्यक है कि शैक्षणिक स्तरों पर AI कोर्सेज का एकीकरण हो, टियर-2 और टियर-3 शहरों में AI और डेटा लैब्स स्थापित हों और कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसे क्षेत्रों में AI का तेजी से उपयोग बढ़े।

रघु पांडे ने अपने वक्तव्य में युवाओं से एआई कौशल को सीखने की बात कही। उन्होंने कहा कि भविष्य में लगभग सभी क्षेत्रों में एआई की वजह से बदलाव देखने को मिलेंगे जिसके लिए हमें आज खुद तैयार करने और सीखते रहने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में संतोष चौबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि पहले जब कम्प्यूटर आया तो उसके लिए पुस्तकें लिखी गईं। इसी क्रम में अब एआई पर अच्छी पुस्तकों की महती आवश्यकता है। इसके अलावा उन्होंने एआई लिटरेचर डेटाबेस बनाने की बात भी कही जिससे बेहतर उपयोग के लिए समृद्ध बनाया जा सके। साथ ही उन्होंने बताया कि एआई लिटरेसी मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश के एक करोड़ युवाओं को एआई शिक्षा, अनुसंधान और उद्यमिता में प्रशिक्षित करना है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की प्रो. चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नई तकनीकों के अनुरूप सशक्त बनाना और शिक्षा में व्यापक बदलाव लाना है, ताकि भारत का भविष्य और मजबूत हो सके। यह योजना भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन और नीति आयोग के विकसित भारत 2047 विजन के अनुरूप है।

कौशल विकास यात्रा के साथ शुरू हुए इस मिशन को विशेष रूप से तैयार किए गए कौशल रथों के माध्यम से देशभर में ले जाया जा रहा है जहां ये रथ गांव-गांव और शहर-शहर पहुँचकर युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी भविष्य की तकनीकों से परिचित कराएंगे। रथों में एआई से संबंधित शैक्षणिक सामग्री, डेमो और जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इस दौरान निःशुल्क AI सेमिनार, कार्यशालाएँ, करियर काउंसलिंग सत्र और तकनीकी प्रदर्शन भी आयोजित होंगे। विषय विशेषज्ञ विद्यार्थियों को AI के महत्व, करियर अवसरों और कौशल विकास की भूमिका पर मार्गदर्शन देंगे।

मिशन के तहत व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं –
AI उद्यमिता को बढ़ावा: स्टार्टअप्स के लिए इंक्यूबेशन और एक्सीलरेटर प्रोग्राम।
AI इनोवेशन चैलेंज: युवाओं के लिए प्रतियोगिताएँ और पुरस्कार।
AI कंटेंट क्रिएशन: डिजिटल और मीडिया टूल्स में प्रशिक्षण।
AI फॉर गवर्नेंस: जनकल्याण योजनाओं में AI का उपयोग।
इंडस्ट्री एलाइंड ट्रेनिंग: रोजगार की दृष्टि से उपयोगी कौशल प्रशिक्षण।

शिक्षण संस्थानों के साथ साझेदारी भी इस मिशन का एक प्रमुख हिस्सा है। स्कूल और कॉलेजों में AI लिटरेसी प्रोग्राम चलाए जाएंगे। आईसेक्ट के सभी स्किल नॉलेज प्रोवाइडर्स (SKPs) और फ्रेंचाइजी केंद्रों पर कम से कम 10 निःशुल्क AI सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। इसके लिए शिक्षकों और SKPs को पहले विशेष ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि पूरे देश में एक समान गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित हो सके।

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