
5 अगस्त 2025 — पूर्वी और दक्षिणी भारत के जंगलों में पाए जाने वाले चमकदार काले बिच्छू (Heterometrus bengalensis) के खतरनाक डंक से जुड़ा रहस्य अब उजागर हो गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (IASST), गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने इसके विष का गहराई से अध्ययन कर 25 घातक रासायनिक तत्वों की पहचान की है जो शरीर में गंभीर जैविक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करते हैं।
यह शोध, प्रो. आशीष के. मुखर्जी और शोधार्थी सुस्मिता नाथ के नेतृत्व में किया गया और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स में प्रकाशित हुआ है। टीम ने इस अपेक्षाकृत अल्पज्ञात प्रजाति के विष में 8 अलग-अलग प्रोटीन परिवारों के 25 विषैले तत्वों को पहचाना है जो इंसानों और जानवरों में प्रणालीगत विषाक्तता उत्पन्न कर सकते हैं।
◼️ शोध के प्रमुख निष्कर्ष: स्पेक्ट्रोमेट्री और जैव-रासायनिक परीक्षणों से यह पाया गया कि काले बिच्छू के विष में मौजूद तत्व शरीर में पहुंचते ही लीवर एंजाइमों को बढ़ा देते हैं, जिससे यकृत को नुकसान होता है।
विष के कारण शरीर के अंगों में सूजन और क्षति के लक्षण सामने आए।
प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है, जिससे शॉक या गंभीर एलर्जी रिएक्शन की स्थिति बन सकती है।
यह विष विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है, जहां मृत्यु दर और बीमारियों की दर अधिक पाई जाती है।
इस शोध का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि अब तक इस प्रकार के बिच्छू के विष पर सीमित वैज्ञानिक अध्ययन हुए थे। यह पहली बार है जब भारतीय मूल के काले बिच्छू की जैव-रासायनिक संरचना को इस स्तर पर समझा गया है।
◼️ शोध के प्रभाव: यह खोज न केवल बिच्छू के विष के इलाज और प्रबंधन में सहायता करेगी, बल्कि भविष्य में बायोटेक्नोलॉजी और औषधीय अनुसंधान में भी नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती है।
यह अध्ययन न केवल इस घातक जीव के रहस्य से पर्दा हटाता है, बल्कि विष विज्ञान (toxicology) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है।