
18 अगस्त 2025। किशोरों के नवाचार और जन स्वास्थ्य के संगम से जन्मी एक अनोखी अवधारणा ने दुनिया का ध्यान खींचा है। ब्रिटेन के तीन किशोर छात्रों (आयु मात्र 13 और 14 वर्ष) ने एक ऐसे कंडोम का विचार पेश किया है, जो यौन संचारित रोगों (एसटीआई) के संपर्क में आते ही रंग बदल सकता है।
इस क्रांतिकारी सोच को यूके के टीनटेक अवार्ड्स में पहला स्थान भी प्राप्त हुआ। अवधारणा के अनुसार, कंडोम में विशेष एंटीबॉडीज़ को जोड़ा जाएगा, जो विभिन्न यौन संक्रमणों पर प्रतिक्रिया करते हुए अलग-अलग रंग में बदल जाएंगे। उदाहरण के लिए —
◼️ क्लैमाइडिया की पहचान पर हरा रंग,
◼️ हर्पीज़ पर पीला रंग,
◼️ एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) पर बैंगनी रंग,
◼️ सिफलिस पर नीला रंग।
हालांकि यह तकनीक अभी केवल सैद्धांतिक स्तर पर है और इसमें कई व्यावहारिक चुनौतियाँ मौजूद हैं — जैसे एक या दोनों साथियों में संक्रमण की पहचान का अंतर करना, या कई संक्रमणों को एक साथ पकड़ना। बावजूद इसके, इस विचार ने स्वास्थ्य और तकनीक जगत में उत्सुकता और बहस को जन्म दिया है।
सूत्रों के अनुसार, कंडोम निर्माता कंपनियाँ भी इस नवाचार में प्रारंभिक रुचि दिखा रही हैं। भले ही इसे वास्तविक उत्पाद बनने में समय लगे, लेकिन यह पहल इस बात का प्रतीक है कि नई पीढ़ी यौन स्वास्थ्य को लेकर जागरूक है और सुरक्षित संबंधों के लिए नवाचारपूर्ण समाधान खोज रही है।