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ला नीना प्रभाव से बढ़ेगी ठंड, हृदय रोगियों के लिए सावधानी जरूरी — डॉ. स्वप्निल गर्दे

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 144

7 नवम्बर। इस वर्ष ला-नीना प्रभाव के कारण प्रदेश में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत में तापमान औसत से 2-3 डिग्री कम रह सकता है। इस बदलते मौसम का असर हृदय रोगियों पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। यह चेतावनी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वप्निल गर्दे ने होटल आमेर पैलेस में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।

डॉ. गर्दे ने कहा कि ठंड के मौसम में शरीर की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ता है और हृदय को अधिक परिश्रम करना पड़ता है। उन्होंने बताया “ब्लड प्रेशर का बढ़ना अक्सर बिना लक्षण के होता है, लेकिन थकान, सिरदर्द, सांस फूलना या धड़कन तेज होना इसके संकेत हो सकते हैं। ऐसे में नियमित ब्लड प्रेशर जांच बेहद जरूरी है।”

उन्होंने आगाह किया कि सोशल मीडिया पर चल रहे कुछ भ्रामक संदेशों के कारण लोग ‘सॉर्बिट्रेट’ जैसी दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के ले रहे हैं, जो कई मामलों में नुकसानदायक हो सकती हैं। उन्होंने कहा “यह दवा रक्तचाप को अचानक गिरा देती है, जिससे चक्कर, बेहोशी या दिल का दौरा भी पड़ सकता है।”

डॉ. गर्दे ने सलाह दी कि हर हृदय रोगी अपने पास डिस्प्रिन जैसी आपातकालीन दवा रखें और छाती में दर्द, पसीना या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत सेवन करें और चिकित्सक से संपर्क करें। वही उन्होनें कहा बिना डाक्टर की सलाह के खून पतला करने वाली दवाएं नहीं लेना चाहिए।

वहीं घरेलू उपचार के लिए लहसुन के उपयोग पर उन्होनें कहा की लहसुन कितनी मात्रा में लेना हैं उसकी कोई ठीक मात्रा नहीं है जो बता सके की लहसुन कितना खाना चाहिए, वही यदि डिस्प्रिन जैसी आपातकालीन दवा की मात्रा और उसका प्रभाव हमें पता हैं।

युवाओं में अधिक दिल की परेशानियों की वजह के बारें में कहा की अनियमित खान पान तला और अधिक फास्ट फूड़ खाना और अनियमित लाईफ स्टाईल हैं।

उन्होंने बताया कि वृद्धजन बहुत सुबह खुले में व्यायाम न करें, बल्कि घर के गर्म वातावरण में हल्का व्यायाम करें। ठंड के मौसम में अचानक परिश्रम, नहाना या ठंडे पानी के संपर्क से भी बचना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को पहले हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर हो चुका है, और जिनकी हृदय की पंपिंग क्षमता कम है, उन्हें इस मौसम में खांसी, सर्दी या निमोनिया से अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए।

डॉ. गर्दे ने अपील की कि सर्दी के मौसम को हल्के में न लें। उन्होंने कहा “थोड़ी-सी सतर्कता जीवन बचा सकती है — गर्म कपड़े पहनें, धूम्रपान से बचें, और नियमित दवा एवं जांच जारी रखें।”

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