
1 अक्टूबर 2025। वज़न घटाने और फिटनेस के लिए लोकप्रिय होती जा रही इंटरमिटेंट फास्टिंग पर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि दिनभर में सिर्फ 8 घंटे से कम समय तक भोजन करने वालों में दिल की बीमारियों से मौत का खतरा लगभग 91% से 135% तक बढ़ जाता है।
अध्ययन में क्या पाया गया?
शोध अमेरिका के नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्ज़ामिनेशन सर्वे (NHANES) के लगभग 20 हज़ार लोगों के डेटा पर आधारित है।
इसमें पाया गया कि जो लोग दिनभर की पूरी डाइट 8 घंटे से कम समय में ले लेते हैं, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य कार्डियोवैस्कुलर रोगों से मौत का खतरा उन लोगों से कहीं अधिक था, जो 12–14 घंटे की खिड़की में खाना खाते हैं।
सबसे अधिक जोखिम उन लोगों में देखा गया जिनकी पहले से हृदय रोग या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की हिस्ट्री थी।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
हालांकि, हार्वर्ड, जॉन्स हॉपकिन्स और कई अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह अध्ययन कारण और प्रभाव (cause-effect) को साबित नहीं करता। यानी यह कहना सही नहीं होगा कि सिर्फ इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से ही हार्ट अटैक होता है।
अध्ययन केवल संबंध (association) दिखाता है, सबूत नहीं।
डेटा सेल्फ रिपोर्टेड था, यानी प्रतिभागियों ने खुद बताया कि वे कब और कितना खाते हैं। इसमें गलती या अधूरा विवरण होने की संभावना रहती है।
भोजन की क्वालिटी (जैसे जंक फूड बनाम हेल्दी डाइट) को इसमें अलग से नहीं आँका गया।
पहले के अध्ययनों में फायदे भी
कई अन्य शोधों में इंटरमिटेंट फास्टिंग से ब्लड शुगर कंट्रोल, कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल और सूजन कम होने जैसे फायदे भी दिखे हैं। यही वजह है कि डॉक्टर अब तक इसे वज़न घटाने के एक विकल्प के रूप में सुझाते रहे हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग पर ताज़ा रिपोर्ट ने इसे लेकर बहस को और तेज़ कर दिया है। एक ओर जहां छोटे समय की खिड़की में खाना खाने से मौत के ख़तरे बढ़ने का दावा किया गया है, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि ठोस नतीजों के लिए और बड़े, लम्बे समय तक चलने वाले क्लिनिकल ट्रायल्स की ज़रूरत है।
संकेत साफ़ है—अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं तो 8 घंटे से कम की खिड़की से बचें और डाइट में संतुलन बनाए रखें। खासकर जिन लोगों को पहले से दिल या अन्य गंभीर बीमारियाँ हैं, उन्हें डॉक्टर से सलाह लिए बिना इस डाइट को अपनाने से बचना चाहिए।